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UP: विकास-रोजगार जैसे मुद्दों से इतर जाति और धर्म की राजनीति में उलझ रहा है विधानसभा का चुनाव!

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव विकास, रोजगार और कानून व्यवस्था जैसे ज्वलंत मुद्दों की पटरी से उतर कर जाति और धर्म आधारित वोट बैंक की राजनीति पर तेजी से केन्द्रित होता दिख रहा है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते काफी सियासी संग्राम मचा रखा है। ऐसे में सभी दल इस जुगत में लगे हुए है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव विकास, रोजगार और कानून व्यवस्था जैसे ज्वलंत मुद्दों की पटरी से उतर कर जाति और धर्म आधारित वोट बैंक की राजनीति पर तेजी से केन्द्रित होता दिख रहा है।  
मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की फिराक में है 
इसकी बानगी एक ओर वे मंत्री और विधायक हैं जो पांच साल तक सत्ता सुख भोग कर समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर रूख करते हुये गरीब, दलित और वंचितों के उत्पीड़न एवं उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अयोध्या और काशी समेत अन्य हिन्दू तीर्थस्थलों के विकास की दुहाई देकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की फिराक में है। 
‘फर्क साफ है संस्कारो का’-भाजपा  
सपा और योगी सरकार के बीच अंतर को दर्शाने की कड़ में भाजपा की प्रदेश इकाई ने शुक्रवार को ट्वीट किया ‘फर्क साफ है संस्कारो का’। तब मुख्यमंत्री अखिलेश थे, सैफई में जनता के‘करोड़ रुपये’लुटाकर नाच-गाने से अपना शौक पूरा करते थे। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं,अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन कर‘करोड़ रामभक्तों’का सपना पूरा कर आस्था का सम्मान करते हैं।’’ 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव : BJP छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की आज होगी सपा में एंट्री

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न दलों के जनप्रतिनिधियों के दल बदलने का सिलसिला लगातार जोर पकड़ता जा रहा है। इस कड़ में सत्तारूढ़ भाजपा के सबसे ज्यादा 14 विधायकों और मंत्रियों की आस्था में परिवर्तन देखने को मिला है वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नौ,कांग्रेस के पांच और सपा का एक विधायक पाला बदल चुका है। 
दलित और पिछड़ा वर्ग क्यों छोड़ रहा है पार्टी 
भाजपा के 14 विधायकों में शामिल मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने हालांकि अभी अपने पद से इस्तीफा दिया है लेकिन उनके आज या कल सपा में शामिल होने की पूरी संभावना है। भाजपा से किनारा करने वाले अधिकांश जनप्रतिनिधियों का कहना है कि योगी सरकार में दलित, पिछड़ा और वंचित शोषित वर्ग की उपेक्षा की गयी है जिससे आहत होकर वे पार्टी छोड़ने को विवश हैं। 
वहीं कांग्रेस छोड़ कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले नरेश सैनी, अदिति सिंह और राकेश सिंह पार्टी में फैले असंतोष और परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं। बसपा से बाहर किये गये रामअचल राजभर, लालजी वर्मा, असलम राइनी, असलम अली, मुजतबा सिद्दिकी, हाकिम लाल बिंद, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल और विनय शंकर तिवारी पूर्वांचल में पार्टी के समीकरण में उलटफेर कर सकते हैं। हालांकि बसपा प्रमुख मायावती के अनुसार पार्टी से बाहर किये गये विधायकों से उनकी पार्टी को काई फर्क नहीं पड़गा।

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