लव जिहाद अध्यादेश पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिली है। अध्यादेश को रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 4 जनवरी तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए फिलहाल अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाए जाने से साफ इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने इस मामले में दाखिल तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना जवाब दिया। लव जिहाद अध्यादेश के खिलाफ दायर याचिकाओं में सरकार पर राजनीतिक फायदा लेने का आरोप लगाया गया है।
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याचिकाकर्ताओं ने ये भी मांग की थी कि अब तक लव जिहाद कानून के तहत जितने भी केस दर्ज हुए हैं, उनमें आरोपियों को गिरफ्तार ना किया जाए। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस मांग को भी खारिज कर दिया। वहीं सरकार की ओर से अध्यादेश को जरुरी बताते हुए कहा गया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस तरह का अध्यादेश बहुत ज़रूरी हो गया था।
गौरतलब है कि धर्मांतरण के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार जिहाद के खिलाफ कानून बनाया गया है। प्रदेश सरकार ने 24 नवंबर को विवाह की खातिर जबरन या झूठ बोलने के धर्म परिवर्तन के मामलों से निबटने के लिये यह अध्यादेश मंजूर किया था जिसके अंतर्गत दोषी व्यक्ति को 10 साल तक की कैद हो सकती है। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी।