राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को वाल्मीकि जयंती के अवसर पर कानपूर में वाल्मीकि समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को महर्षि वाल्मीकि से समर्पण, संवेदना और कर्तव्य की भावना सीखनी चाहिए।
कानून स्थापित करने से नहीं होगा कुछ
भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर (B. R. Ambedkar) ने संविधान में समाज को अधिकार देने के लिए एक कानून की स्थापना की है, लेकिन सिर्फ कानून स्थापित करने से सब कुछ नहीं होगा। बाबा साहब ने संविधान को संसद में देते हुए कहा था कि जिन्हें अब तक पिछड़ा माना जाता था, वह पिछड़े नहीं रहेंगे। वह सभी के साथ समान रूप से बैठेंगे, हमने यह व्यवस्था बनाई है, लेकिन मन को भी बदलना होगा।
राम दुनिया से ना होते परिचित
RSS प्रमुख ने कहा, बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि उन्होंने व्यवस्था कर आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान की है। लेकिन यह महसूस तभी होगा जब सामाजिक स्वतंत्रता आएगी और इसलिए डॉ अंबेडकर ने संघ के जरिए 1925 से नागपुर से उस भावना को लाने का काम किया।भागवत ने कहा, वाल्मीकि समाज हमारे देश का गौरव है। अगर वाल्मीकि ना होते तो राम दुनिया से परिचित ना होते। मैं इस शुभ अवसर पर यहां आकर खुद को धन्य मानता हूं। उन्होंने कहा सभी को वर्ण और जाति व्यवस्था की अवधारणा को भूल जाना चाहिए। भागवत उत्तर भारत के पहले 'स्वर संगम घोष' शिविर में शामिल होने के लिए शनिवार को कानपुर पहुंचे थे।