दिगम्बर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या से ही विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शीर्ष नेतृत्व ऐसा नहीं चाहता था। महंत ने कहा ‘‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा नेतृत्व की इच्छाओं और निर्देशों का सम्मान करते हुए अयोध्या विधानसभा के बजाय गोरखपुर विधानसभा से ही चुनाव लड़ना स्वीकार कर लिया। उनका मन अयोध्या से विधानसभा चुनाव लड़ने का था लेकिन संगठन में पार्टी का महत्व होता है, किसी व्यक्ति विशेष का नहीं। यही कारण है कि पार्टी के निर्देश का सम्मान करते हुए उन्होंने गोरखपुर से चुनाव लड़ना स्वीकार किया है।’’
BJP के शीर्ष नेतृत्व के फैसले का किया सम्मान
उन्होंने कहा ‘‘ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन दिया कि वह चाहे जहां से भी विधायक बनें अयोध्या का विकास जारी रहेगा।’’ सुरेश दास ने कहा ‘‘ योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ और राम मंदिर आंदोलन के महानायक एवं दिगम्बर अखाड़े के निवर्तमान महंत रामचंद्र परमहंस में गहरी मित्रता रही है। उसी रिश्ते को योगी भी निभाते रहे हैं। गोरखपुर के सांसद के रूप में वह बराबर कार्यक्रमों में शामिल होते थे। दिगम्बर अखाड़े में उनके आवागमन का सिलसिला जारी रहा। यहां तक कि वह मुख्यमंत्री बनने के बाद स्वामी परमहंस की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने बराबर आये लेकिन सुरक्षा कारणों से संत-महंतों की दिक्कतों के कारण उन्होंने अलग से कार्यक्रम शुरू किया।’’
योगी कहीं से भी बनें विधायक अयोध्या का विकास रहेगा जारी
उन्होंने कहा कि योगी यहां जब भी आते तो राम मंदिर आंदोलन से जुड़े शीर्ष संतों से अवश्य भेंट करते थे जिनमें राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष और मणिरामदास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास व जगद्गुरू रामानुजाचार्य, स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य प्रमुख रूप से शामिल थे। महंत ने बताया कि राम मंदिर का सर्वोच्च न्यायालय से फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण से लेकर यहां के विकास के प्रति मुख्यमंत्री योगी की गंभीरता के कारण संत समाज की इच्छा थी कि मुख्यमंत्री योगी अयोध्या से चुनाव लड़े जिससे गरिमा के अनुरूप विकसित करने में वह बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकें।