अफगानी सरजमीं से भारत विरोधी गतिविधियों का इस्तेमाल नहीं होने देंगे : विदेश मंत्री एस जयशंकर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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अफगानी सरजमीं से भारत विरोधी गतिविधियों का इस्तेमाल नहीं होने देंगे : विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत उम्मीद करता है कि अफगानिस्तान की धरती का कभी भी भारत विरोधी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल नहीं किया जायेगा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत उम्मीद करता है कि अफगानिस्तान की धरती का कभी भी भारत विरोधी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल नहीं किया जायेगा । विदेश मंत्री ने दोहा में आयोजित अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया पर आयोजित बैठक के प्रारंभिक सत्र में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लेते हुए यह बात कही । 
विदेश मंत्री ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि भारत और अफगानिस्तान की मित्रता ‘‘मजबूत और दृढ़’’ है और नयी दिल्ली के विकास कार्यक्रमों से अफगानिस्तान का कोई भी हिस्सा अछूता नहीं है। 
उन्होंने कहा कि अफगान शांति प्रक्रिया में अफगानिस्तान की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए । 
विदेश मंत्रालय ने बताया कि जयशंकर ने इस बैठक में कतर के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जस्सिम अल थानी के निमंत्रण पर हिस्सा लिया । 
इसमें कहा गया है कि दोहा में प्रारंभिक सत्र में आधिकारिक शिष्टमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान प्रभाग) ने किया । 
अफगान सरकार और तालिबान के वार्ताकार 19 साल में पहली बार अफगानिस्तान में स्थायी शांति स्थापित करने के लिये दोहा में अंतर अफगान बैठक कर रहे हैं । 
इस ऐतिहासिक शांति पहल के प्रारंभिक सत्र में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, अफगानिस्तान के राष्ट्रीय मेलमिलाव महापरिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला, चीन के विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी सहित कई प्रमुख देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया । 
जयशंकर ने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान के साथ हमारी मित्रता मजबूत और दृढ़ है, हम हमेशा अच्छे पड़ोसी रहे हैं और हमेशा रहेंगे । हमारी उम्मीद है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल कभी भी भारत विरोधी गतिविधियों के लिये नहीं किया जायेगा । ’’ 
समझा जाता है कि भारत में ऐसी आशंकाएं हैं कि अगर अंतर अफगान वार्ता के बाद वहां अगर पाकिस्तान के प्रति दोस्ताना रूख वाली व्यवस्था आती है तो अफगानिस्तान की धरती का भारत विरोधी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल किये जाने की आशंका हो सकती है। 
उन्होंने कहा कि शांति प्रक्रिया को मानवाधिकारों और लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अल्पसंख्यकों, महिलाओं और खतरे की आशंका वाले वर्गो के हित सुनिश्चित हों एवं देशभर में हिंसा का प्रभावी समाधान निकाला जाए । 
जयशंकर ने एक के बाद एक किए गए ट्वीट के जरिये अपने संबोधन के बारे में जानकारी दी । 
उन्होंने लम्बे समय से जारी भारत के उस रूख की पुन: पुष्टि की कि शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान के स्वामित्व वाला, अफगानिस्तान नीत और अफगानिस्तान नियंत्रित होनी चाहिए । 
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे लोगों के बीच मित्रता अफगानिस्तान के साथ हमारे ऐतिहासिक प्रगाढ संबंधों की गवाही देती है । हमारी 400 से अधिक परियोजनाओं के जरिये अफगानिस्तान का कोई हिस्सा अछूता नहीं है। हमें विश्वास है कि हमारे सभ्यतागत संबंध आगे बढ़ना जारी रहेंगे । ’’ 
गौरतलब है कि पिछले महीने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान के 400 कैदियों को छोड़ने पर सहमति व्यक्त की थी जिससे युद्धग्रस्त देश में पिछले दो दशकों से जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिये बहुप्रतिक्षित शांति प्रक्रिया शुरू होने का मार्ग प्रशस्त हुआ । 
अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में भारत एक महत्वपूर्ण पक्षकार है। भारत ने अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण गतिविधियों में करीब 2 अरब डालर का निवेश किया है। फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भारत उभरती राजनीति स्थिति पर करीबी नजर बनाये हुए हैं । इस समझौते के तहत अमेरिका, अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटा लेगा । वर्ष 2001 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब 2400 सैनिक मारे गए हैं । 
भारत का कहना है कि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस प्रक्रिया में कहीं कोई ऐसा स्थान रिक्त नहीं रह जाये जिसे आतंकवादी और उनके छद्म सहयोगी भर दें । 

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