अजरबैजान से जारी युद्ध के बीच आर्मीनिया ने रूस से मांगी मदद - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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अजरबैजान से जारी युद्ध के बीच आर्मीनिया ने रूस से मांगी मदद

नागोर्नो-काराबाख को लेकर चल रही लड़ाई खत्म करने के लिये आर्मीनिया के नेता ने रूस से सुरक्षा सहायता मुहैया करने का शनिवार को अनुरोध किया।

नागोर्नो-काराबाख को लेकर चल रही लड़ाई खत्म करने के लिये आर्मीनिया के नेता ने रूस से सुरक्षा सहायता मुहैया करने का शनिवार को अनुरोध किया। आर्मीनिया और आजरबैजान के बीच दशकों से चल रहे संघर्ष में इस वक्त तनाव अपने चरम पर है।
करीब महीने भर से अधिक समय से चल रही भीषण लड़ाई के बाद आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशीनियन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनके देश को संभावित सुरक्षा सहायता मुहैया करने पर शीघ्र चर्चा करने का अनुरोध किया है। इस लड़ाई में आजरबैजानी सैनिक अलगाववादी क्षेत्र में घुस गए हैं।
हालांकि, आर्मीनिया के प्रधानमंत्री के अनुरोध पर रूस की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। आजरबैजानी सैनिक नगोर्नो-काराबाख में काफी अंदर तक घुस गए हैं और दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर एक पारस्परिक सहमति वाले संकल्प को तोड़ने का आरोप लगाया है, जिसमें यह कहा गया था कि रिहाइशी इलाकों को निशाना नहीं बनाया जाएगा। रूस का आर्मीनिया में सैन्य अड्डा है।
उसने एक संधि पर हस्ताक्षर किया है, जो उसे कोई विदेशी आक्रमण होने पर सहयोगी देश की मदद करने का दायित्व सौंपता है। हालांकि, रूस ने आजरबैजान से अच्छे संबंध कायम रखने की कोशिश करते हुए संतुलित रुख अपनाया है। नागोर्नो-काराबाख आजरबैजान में पड़ता है लेकिन 1994 में वहां एक युद्ध समाप्त होने के बाद से उस पर आर्मीनिया समर्थित जातीय आर्मीनियाई बलों का नियंत्रण है।
मौजूदा संकट 27 सितंबर को शुरू हुआ और इसमें अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं। शुक्रवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की जिनीवा में बैठक हुई थी, जिसमें यह सहमति बनी कि दोनों पक्ष अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करते हुए जानबूझकर आबादी वाले इलाकों को या गैर सैन्य वस्तुओं को निशाना नहीं बनाएंगे।
हालांकि, इसकी घोषणा होने के कुछ ही देर बाद नगोर्नो-काराबाख अधिकारियों ने आजरबैजानी बलों पर स्तेपानाकर्त के एक बाजार में और एक आवासीय भवन पर रॉकेट दागने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शुशी शहर के आवासीय इलाके में भी आजरबैजानी गोलाबारी की जद में आए हैं।

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