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रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा- अमेरिका को रूस के साथ भारत के संबंधों, उसके गिरते लोकतांत्रिक मूल्यों पर ध्यान देना जरूरी

विदेश संबंधों पर सीनेट की समिति ने कहा है कि ओबामा प्रशासन को रूस के साथ भारत के संबंधों और लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों में गिरावट पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

विदेश संबंधों पर सीनेट की समिति ने कहा है कि ओबामा प्रशासन को रूस के साथ भारत के संबंधों और लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों में गिरावट पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। समिति ने यह बात खासतौर पर तब कही, जब अमेरिका इंडो-पैसिफिक और क्वाड पर फोकस कर रहा है। रिपोर्ट में एक मजबूत और लोकतांत्रिक भारत का समर्थन करने का आह्वान किया गया है।
इस सरकार के समग्र दृष्टिकोण को अपनाती है
सीनेट के विदेश मामलों के अध्यक्ष सीनेटर रॉबर्ट मेनेंडेज ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका को सभी संसाधनों और सरकार के पूर्ण समर्थन के साथ हिंद-प्रशांत (रणनीति) की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। ‘स्ट्रेटेजी एलाइनमेंट: द इम्पेरेटिव ऑफ रिसॉर्सिंग द इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटेजी’ नामक रिपोर्ट बृहस्पतिवार को जारी की गई। मेनेंडेज ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि राष्ट्रपति बाइडन की एक साल पहले जारी की गयी हिंद-प्रशांत रणनीति इस सरकार के समग्र दृष्टिकोण को अपनाती है। यदि यह रणनीति सफल हुई तो इससे 21वीं सदी में दुनिया के सबसे अधिक परिणामी और गतिशील क्षेत्र में अमेरिका का नेतृत्व मजबूत होगा।’’
भागीदारों की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा
रिपोर्ट के अनुसार, बाइडन प्रशासन अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति को पूरी तरह से चीन के खिलाफ न रखने को लेकर सही है। हालांकि इसमें सफलता पाने के लिए अमेरिका को इस प्रतिस्पर्धा की वास्तविकताओं से जूझना होगा और अपने क्षेत्रीय सहयोगियों तथा भागीदारों की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। अपनी सातवीं एवं आखिरी सिफारिश में ‘मेजर स्टाफ रिपोर्ट’ ने एक मजबूत और लोकतांत्रिक भारत का समर्थन करने का आह्वान किया है।
सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार बनने की होड़ करते हैं
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भले ही प्रशासन का भारत को एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार मानना सही है, लेकिन उसे रक्षा उपकरणों के लिए रूस के साथ भारत के निरंतर संबंधों और निर्भरता की वास्तविक जटिलताओं और हाल ही में उसके लोकतांत्रिक मूल्यों तथा संस्थानों में आई गिरावट को दूर करने के लिए काम करना होगा।’’ रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार बनने की होड़ करते हैं। 
दोनों देशों के संबंध शीतयुद्ध की दुश्मनी
भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जून 2022 में बताया था कि अमेरिका के साथ व्यापार चीन से अधिक हो गया है, जो अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘दरअसल, दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध दो दशकों से अधिक समय से काफी बेहतर स्थिति में हैं। दोनों देशों के संबंध शीतयुद्ध की दुश्मनी, भारत के परमाणु कार्यक्रम और 1998 में परमाणु परीक्षण को लेकर उत्पन्न मतभेद से ऊपर उठ चुके हैं।’’
प्रौद्योगिकियों की दिशा में एक नई पहल की
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में सुरक्षा संबंध नाटकीय रूप से गहरे हुए हैं, क्योंकि दोनों देश चीन के कदमों को लेकर अधिक चिंतित हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘अमेरिका और भारत अब प्रमुख रक्षा साझेदार हैं और दोनों देशों ने क्वांटम कंप्यूटिंग, 5जी और 6जी नेटवर्क, अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, बायोटेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों की दिशा में एक नई पहल की है।’’

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