ब्रिटेन ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद विभिन्न देशों से प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस को इनसे बचने का उपाय सुझाते हुए कहा कि कि अगर रूस यूक्रेन से अपनी सेना को वापस बुला लेता है तो उसके खिलाफ लगाये प्रतिबंधों को हटा दिया जायेगा।
ब्रिटेन की विदेश सचिव लित्र ने रविवार को टेलीग्राफ को दिये एक साक्षात्कार में कहा कि यूक्रेन से सेना वापस बुलाने के बाद ही रूस के खिलाफ लगाये प्रतिबंधों को हटाया जायेगा। अगर रूस ऐसा करता है तो उसे आगे ऐसी कोई कार्रवाई न करने की प्रतिबद्धता भी दिखानी होगी अन्यथा की स्थिति में उसे फिर से प्रतिबंधों का सामना करना पड़गा।’’ बीबीसी के अनुसार अभी तक अमेरिका,ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने 1000 से अधिक रूसी नागरिकों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ प्रतिबंध लगाये हैं।
ब्रिटिश विदेश सचिव ने कहा,‘‘अगर रूस बातचीत को लेकर गंभीरता दिखाता है तो यूक्रेन भी इसके लिए तैयार है लेकिन मुझे नहीं लगता कि अभी ये दोनों ही बातचीत के लिए तैयार हैं इसी कारण से अभी प्रतिबंधों को और कड़ करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ 2014 में भी और प्रतिबंध लगाये जाने चाहिए थे जब उन्होंने क्रीमिया को कब्त्राया था। रूस को रोकने के लिए प्रभावी तरीके इस्तेमाल करना जरूरी है और प्रतिबंध काफी प्रभावी हैं। इन प्रतिबंधों का समापन केवल पूर्ण युद्धविराम की स्थिति में ही होना चाहिए और दोबारा ऐसी कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर प्रतिबद्धता भी जरूरी है।ब्रिटेन की विदेश सचिव का यह बयान बहुत हद तक अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी रंब्लकन से मिलता जुलता है जिसमें उन्होंने कहा था कि रूस पर लगाये गये प्रतिबंध स्थायी नहीं हैं।
ब्रिटेन की विदेश सचिव लित्र ने रविवार को टेलीग्राफ को दिये एक साक्षात्कार में कहा कि यूक्रेन से सेना वापस बुलाने के बाद ही रूस के खिलाफ लगाये प्रतिबंधों को हटाया जायेगा। अगर रूस ऐसा करता है तो उसे आगे ऐसी कोई कार्रवाई न करने की प्रतिबद्धता भी दिखानी होगी अन्यथा की स्थिति में उसे फिर से प्रतिबंधों का सामना करना पड़गा।’’ बीबीसी के अनुसार अभी तक अमेरिका,ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने 1000 से अधिक रूसी नागरिकों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ प्रतिबंध लगाये हैं।
ब्रिटिश विदेश सचिव ने कहा,‘‘अगर रूस बातचीत को लेकर गंभीरता दिखाता है तो यूक्रेन भी इसके लिए तैयार है लेकिन मुझे नहीं लगता कि अभी ये दोनों ही बातचीत के लिए तैयार हैं इसी कारण से अभी प्रतिबंधों को और कड़ करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ 2014 में भी और प्रतिबंध लगाये जाने चाहिए थे जब उन्होंने क्रीमिया को कब्त्राया था। रूस को रोकने के लिए प्रभावी तरीके इस्तेमाल करना जरूरी है और प्रतिबंध काफी प्रभावी हैं। इन प्रतिबंधों का समापन केवल पूर्ण युद्धविराम की स्थिति में ही होना चाहिए और दोबारा ऐसी कार्रवाई नहीं किये जाने को लेकर प्रतिबद्धता भी जरूरी है।ब्रिटेन की विदेश सचिव का यह बयान बहुत हद तक अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी रंब्लकन से मिलता जुलता है जिसमें उन्होंने कहा था कि रूस पर लगाये गये प्रतिबंध स्थायी नहीं हैं।