दुनिया में तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा चीन अकसर अपने दबदबे के चलते तथा विस्तारवादी नीति के कारण विवादों मेें रहता है। चीन अपना प्रभुत्व पूरे विश्व पर बनाना चाहता है, इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है, इससे पहले कई ऐसे कृत्य किए, जिनसे चीन की दूरगामी दबदबे वाली नीति सबके सामने आ चुकी है। लेकिन इस बार चीन ने अपने चिरप्रतिद्धंदी अमेरिका को एक बड़ा झटका दिया है।
चीन ने अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्वर रोस सहित कई अमेरिकी नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध ‘हांगकांग में कारोबार के माहौल को बेबुनियाद आरोपों के जरिए बदनाम करने के लिए’ लगाये हैं और ये ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं।
उन्होंने कहा कि जवाबी कार्रवाई के तौर पर वह अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रोस सहित सात अमेरिकी नागरिकों और संगठनों पर प्रतिबंध लगा रहा है। इस बीच, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि अमेरिका चीन के इन प्रतिबंधों के बाद भी अपने फैसले पर अडिग है।
उन्होंने कहा,‘‘ ये पाबंदियाँ इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं कि चीन कैसे राजनीतिक संदेश भेजने के लिए लोगों, कंपनियों और सिविल सोसायटी संस्थानों को सजा देता है।’’ चीन की यह घोषणा उसी दिन से एक दिन पहले की है जबकि अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन चीन के दौरे पर आने वाली थी।
अमेरिका ने चीन के इस फैसले को ‘निरर्थक’ और ‘निराशावादी’ बताया है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने हांगकांग में कारोबार करने वाले अपने नागरिकों को भी वहाँ मौजूद खतरों को लेकर चेतावनी जारी की है। दोनों देशों के बीच कोरोना वायरस के ह्मोत, मानवाधिकार और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है।
चीन ने अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्वर रोस सहित कई अमेरिकी नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध ‘हांगकांग में कारोबार के माहौल को बेबुनियाद आरोपों के जरिए बदनाम करने के लिए’ लगाये हैं और ये ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं।
उन्होंने कहा कि जवाबी कार्रवाई के तौर पर वह अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रोस सहित सात अमेरिकी नागरिकों और संगठनों पर प्रतिबंध लगा रहा है। इस बीच, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि अमेरिका चीन के इन प्रतिबंधों के बाद भी अपने फैसले पर अडिग है।
उन्होंने कहा,‘‘ ये पाबंदियाँ इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं कि चीन कैसे राजनीतिक संदेश भेजने के लिए लोगों, कंपनियों और सिविल सोसायटी संस्थानों को सजा देता है।’’ चीन की यह घोषणा उसी दिन से एक दिन पहले की है जबकि अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन चीन के दौरे पर आने वाली थी।
अमेरिका ने चीन के इस फैसले को ‘निरर्थक’ और ‘निराशावादी’ बताया है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने हांगकांग में कारोबार करने वाले अपने नागरिकों को भी वहाँ मौजूद खतरों को लेकर चेतावनी जारी की है। दोनों देशों के बीच कोरोना वायरस के ह्मोत, मानवाधिकार और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है।