आपने आज तक प्लेन के क्रैश होने की बहुत सी खबरें सुनी होगी लेकिन हमे यकीन है कि हम जो बात आपको बताएंगे उस पर विश्वास करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। क्या अपने कभी सोचा है कि एक सिगरेट प्लेन क्रैश और 66 लोगों की मौत का कारण बन सकती है? नहीं, लेकिन ऐसा हुआ है। दरअसल, 2016 के मई महीने में फ्रांस में पेरिस चार्ल्स डी गॉल से मिस्र के काहिरा की यात्रा कर रहा एयरबस ए 320 रहस्यमय परिस्थितियों में भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) में जा गिरा था। बता दें कि इस प्लेन के क्रैश होने से कुल 66 यात्रियों और चालक दल की मृत्यु हो गई थी।
रहस्यमय परिस्थितियों में क्रैश हुआ था प्लेन
मेड के ऊपर “डेथ स्पाइरल” में गिरने से पहले विमान ने हिंसक रूप ले लिया। कर्ष में जान गंवाने वालों में एक ब्रितानी, 12 फ्रांसीसी पर्यटक, 30 मिस्रवासी, 2 इराकी और 1 कनाडाई नागरिक थे। मृत ब्रिट का नाम रिचर्ड उस्मान था जिनकी उम्र 40 वर्ष थी और वह दो बच्चों के पिता थे, जिनकी दूसरी बेटी का जन्म उनकी दुखद मृत्यु से ठीक तीन सप्ताह पहले हुआ था। अमेरिकी नौसेना से जुड़े एक बड़े खोज अभियान के बाद, विमान का ब्लैक बॉक्स ग्रीस के पास गहरे पानी में मिला था।
प्लेन के आतंकवादी हमले के तहत क्रैश होने की बात थी गलत
उस समय, मिस्र के अधिकारियों ने दावा किया था कि विमान को एक आतंकवादी हमले के तहत क्रैश किया गया था। उस वक्त यह दावा किया गया था कि विमान दुर्घटना में पीड़ितों के शरीर पर विस्फोटक पाए गए थे, हालांकि बाद में इसे गलत बताया गया था। हालांकि, अब एक आधिकारिक जांच ने इस बात पर मुहर लगाई है कि पायलट की सिगरेट के धुएं ने गलती से एक आपातकालीन मास्क से ऑक्सीजन लीक कर दिया था जिस कारण यह प्लेन क्रैश हो गया। विमानन विशेषज्ञों द्वारा तैयार 134-पेज की रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र के पायलट अक्सर कॉकपिट में धूम्रपान करते थे और अविश्वसनीय रूप से 2016 की दुर्घटना के समय प्लेन में धूम्रपान पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया था।
सिगरेट के धुएं ने ले ली 66 लोगों की जान
विशेषज्ञों ने कहा, ऑक्सीजन मास्क की सेटिंग को एक रखरखाव इंजीनियर द्वारा सामान्य से आपातकालीन स्थिति में बदल दिया गया था, जैसा कि इतालवी समाचार पत्र कोरिएरे डेला सेरा द्वारा रिपोर्ट किया गया था। इससे मास्क से ऑक्सीजन का लिक होने लगी, जिससे बहुत ज्यादा अस्थिर स्थिति पैदा हुई। यात्री प्लेन के समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त होने से कुछ मिनट पहले 19 मई की सुबह लगभग 2.25 बजे जांचकर्ताओं ने ऑक्सीजन से बचकर निकलने वाली एक फुफकार की आवाज की पहचान की थी। बता दें कि यह पता नहीं चल पाया है कि मेंटेनेंस इंजीनियर ने इमरजेंसी सेटिंग में फेस मास्क क्यों लगाया था?