पाकिस्तान : लॉकडाउन में हिंदू-ईसाई लड़कियों पर बढ़ा अत्याचार, अपहरण- धर्मांतरण के बाद निकाह और रेप - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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पाकिस्तान : लॉकडाउन में हिंदू-ईसाई लड़कियों पर बढ़ा अत्याचार, अपहरण- धर्मांतरण के बाद निकाह और रेप

पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कमोबेश एक नियमित मामला बनता जा रहा है। एक तरफ तो प्रधानमंत्री इमरान खान दावा करते हैं कि पाकिस्तान में सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके शासन में अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढ़ते जा रहे हैं।

पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कमोबेश एक नियमित मामला बनता जा रहा है। एक तरफ तो प्रधानमंत्री इमरान खान दावा करते हैं कि पाकिस्तान में सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके शासन में अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढ़ते जा रहे हैं। खान के नेतृत्व वाली सरकार के शासन में मुख्य रूप से हिंदू और ईसाई धर्म से संबंध रखने वाली लड़कियों के जबरन धर्मातरण के मामले लगातार देखने को मिल रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है। एक 13 वर्षीय ईसाई लड़की आरजू राजा को कथित तौर पर जबरन अगवा किया गया और उसका धर्म परिवर्तन कराकर उसे इस्लाम कुबूल करा दिया गया। उस लड़की की एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर दी गई। जबरन धर्मातरण और बाल विवाह के इस मामले ने एक बार फिर पाकिस्तान के हालात बयां किए हैं। आरजू के मामले ने मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया पर बहस को तेज कर दिया है और यह देश में वर्ष 2020 की शीर्ष और सबसे बड़ी घटनाओं में एक बन गई है, जिसने पाकिस्तान की झूठी धर्मनिरपेक्षता को बेनकाब कर दिया है।
आरजू के मामले ने एक बार फिर से यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को अपने मौलिक अधिकारों के साथ ही धार्मिक आजादी से जीने का मौका कब मिलेगा। आरजू का तो यह हालिया मामला है। इसके अलावा भी पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से युवा हिंदू और ईसाई लड़कियों को अगवा करके उनका धर्म परिवर्तन और जबरन निकाह करने के काफी मामले सामने आ चुके हैं। आरजू के साथ ही ऐसी कई घटनाओं के मामले देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं।
28 अप्रैल 2019 को कराची के इत्तेहाद शहर में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। नेहा को गिरजाघर में संगीत की धुन पर स्तुति गान करना पसंद है लेकिन 14 साल की उम्र में जबरन धर्म परिवर्तन कर 45 साल के एक व्यक्ति से निकाह के बाद वह अपने इस शौक को पूरा करने से महरूम हो गयी है। जिस शख्स से नेहा का निकाह हुआ है, उसके बच्चों की उम्र भी उससे दोगुनी है। नेहा का पति बाल विवाह और बलात्कार के आरोप में फिलहाल जेल में है। लेकिन वह डर से छिपी हुई है।
सुरक्षा अधिकारियों ने अदालत में उसके भाई के पास से पिस्तौल बरामद की थी। उसने बताया, ‘‘मेरा भाई यह बंदूक मुझे गोली मारने के लिए लाया था।’’ नेहा उन हजारों धार्मिक अल्पसंख्यक लड़कियों में से एक है, जिन्हें हर साल जबरन धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म कबूल करवाया जाता है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान यह चलन और बढ़ा है।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इस महीने पाकिस्तान को धार्मिक आजादी के उल्लंघन को लेकर ‘खास चिंता वाला देश’ घोषित किया। हालांकि, अमेरिका के इस फैसले को पाकिस्तान ने खारिज किया है। पाकिस्तान में एक स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग के अनुसार इन लड़कियों को आम तौर पर अगवा किया जाता है और फिर इनका निकाह करवाया जाता है। ऐसी लड़कियों में अधिकतर सिंध प्रांत से गरीब हिंदू लड़कियां होती हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता जिबरान नसीर इस नेटवर्क को ‘‘माफिया’’ बताते हैं। इसके अलावा भी ऐसे मामलों की लंबी सूची है, जिसमें अल्पसंख्यक लड़कियों के साथ नाइंसाफी हुई है। कम उम्र की अल्पसंख्यक लड़कियों के जबरन धर्मातरण की बढ़ती घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि आखिर देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को असुरक्षित क्यों महसूस हो रहा है। पाकिस्तान में जबरन धर्मातरण अनियंत्रित जारी है। अपहरणकर्ता बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी से होते हैं और यही वजह है कि उन्हें सत्ताधारी नेताओं का आसानी से संरक्षण प्राप्त हो जाता है। यही नहीं, पाकिस्तान में आरोपियों को दोषी साबित करने और उन्हें सजा दिलाने की प्रक्रिया भी दम तोड़ रही है।

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