पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पंजाब में मुख्यमंत्री के चुनाव से पहले सत्ताधारी गठबंधन सरकार पर उनकी पार्टी पीटीआई के विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि राज्य की प्रशासनिक प्रणाली का इस्तेमाल जनमत में धांधली करने के लिए किया गया, तो यह देश को ‘श्रीलंका जैसे संकट’ की ओर ले जाएगा।
सत्ताधारी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बेटे हमजा शहबाज मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं, जबकि इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ(पीटीआई) पार्टी नीत गठबंधन की ओर से चौधरी परवेज इलाही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। 368 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में फिलहाल विपक्षी दलों के गठबंधन पीटीआई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (कायदेआजम) के 187 विधायक हैं और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नीत सत्ताधारी गठबंधन के 179 विधायक हैं।
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यदि कुछ विपक्षी एमपीए (प्रांतीय विधानसभा के सदस्य) का रुख नहीं बदला और वह सत्ताधारी गठबंधन में शामिल नहीं हुए, तो मौजूदा मुख्यमंत्री हमजा की कुर्सी जानी तय है। गत अप्रैल में प्रांत के शीर्ष पद के लिए हुए चुनाव में पीटीआई के 25 विधायकों को हमजा शहबाज को वोट देने के लिए अयोग्य घोषित किए जाने के बाद सर्वोच्च अदालत ने 22 जुलाई को पंजाब के मुख्यमंत्री के चुनाव का आदेश दिया था।
पीटीआई ने 17 जुलाई को 20 सीट पर हुए उपचुनाव में जीत के बाद प्रांतीय विधानसभा में बहुमत हासिल किया था। अदालत ने उप विधानसभा अध्यक्ष को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। इमरान ने सरकार पर उनकी पार्टी के विधायकों को खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। इमरान ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘यदि राज्य मशीनरी का इस्तेमाल जनमत का अपहरण करने के लिए किया गया, तो जनता की प्रतिक्रिया पाकिस्तान को ‘श्रीलंका जैसे संकट’ की ओर ले जाएगी।
इस हालात में मैं लोगों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं रहूंगा।’’ जीत की स्थिति में पीटीआई प्रमुख इमरान के पास बड़ा अवसर होगा कि वह सरकार पर नये सिरे से चुनाव कराने के लिए दबाव बना सकें। पीएमएल-एन के लिए पंजाब में हार का मतलब ‘केंद्र को हारना’ होगा।