पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष व विपक्षी नेता शहबाज शरीफ ने सोमवार को भारत के धारा 370 रद्द करने के फैसले की निंदा की और इसे ‘अस्वीकार्य’ व संयुक्त राष्ट्र के खिलाफ ‘द्रोह का काम’ करार दिया। भारत सरकार द्वारा संविधान की धारा 370 को रद्द करने का फैसला लिए जाने के बाद उन्होंने यह टिप्पणी की। यह धारा जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देता है।
सूत्रों के मुताबिक, भारत के इस कदम की निंदा करते हुए शरीफ ने पाकिस्तानी नेतृत्व से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आपातकालीन सत्र की तत्काल मांग करने की और चीन, रूस, तुर्की, सऊदी अरब और अन्य देशों के साथ मामले पर विचार-विमर्श करने की अपील की। विपक्षी नेता ने अपने बयान में ‘कश्मीरी भाइयों’ के प्रति पाकिस्तान के अटूट समर्थन’ की पेशकश की और कहा कि कश्मीर के लोगों को इस मुश्किल घड़ी में अकेले नहीं छोड़ा जाएगा।
पीएमएल-एन नेता ने संसदीय नेताओं की एक आपात बैठक बुलाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “यह पाकिस्तान के राष्ट्रीय हित का मामला है और पूरा देश इस मोर्चे पर एकजुट है।” इस फैसले की निंदा करते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्वीट किया, “भारत के कब्जे वाले कश्मीर (आईओके) में अत्याचार कायम। अतिवादी भारत सरकार के इरादे स्पष्ट हैं। राष्ट्रपति को आईओके में भारत की आक्रामकता के मद्देनजर संसद का संयुक्त सत्र फौरन बुलाना चाहिए।”
सूचना और प्रसारण मामले पर प्रधानमंत्री की विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने कहा कि पाकिस्तान “कश्मीरियों को नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन तब तक देता रहेगा, जब तक कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत आत्मनिर्णय के अधिकार को प्राप्त नहीं कर लेते।”
उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर कहा, “भारत को यह बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए कि न्याय के लिए संघर्ष करने वाले देश को किसी भी बंदूक, अत्याचार या साजिश से हराया नहीं जा सकता।” अवान ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कश्मीरियों का समर्थन करके लोकतंत्र के प्रति अपने सम्मान को साबित करना होगा।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा था कि पाकिस्तान इसके खिलाफ भारतीय बलों द्वारा किए गए किसी भी ‘दुस्साहस या आक्रामकता’ का जवाब देगा। खान ने आरोप लगाया कि भारत ने नियंत्रण रेखा के पास के इलाकों में रहने वाले नागरिकों पर ‘क्लस्टर बम’ का इस्तेमाल किया है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से ‘शांति और सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय खतरे’ पर ध्यान देने का आह्वान किया।