अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने तालिबान की गुलामी स्वीकार करने के इनकार कर दिया था। काबुल पर कब्जे के बाद उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने के बजाय पंजशीर घाटी से तालिबान को चुनौती दी थी। कुछ समय तक वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे लेकिन फिर गायब हो गए। अब एक बार फिर सालेह ने 49 दिन बाद ट्विटर पर दस्तक दी है। उन्होंने अफगानिस्तान पर कब्जे के ढाई महीनों का डेटा साझा करते हुए पाकिस्तान पर करारा वार किया है। सालेह ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। उनका इशारा तालिबान और पाकिस्तान की पुरानी दोस्ती की ओर है।
तालिबान के कब्जे के बाद
The consequences of two & half months of occupation of Afg by Pak;
GDP down by 30% (estd)
Poverty level 90%
Domestic slavery of women in the name of sharia
Civil service down
Press/media/frdm of exprsn banned
Urban middle class gone
Banks closed.
1/2— Amrullah Saleh (@AmrullahSaleh2) October 22, 2021
उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के ढाई महीने बाद के नतीजे-
जीडीपी में 30 फीसद की गिरावट (अनुमानित)
गरीबी का स्तर 90 फीसद
शरियत के नाम पर महिलाओं की घरेलू गुलामी
सिविल सर्विस डाउन
प्रेस/मीडिया/अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक
शहरी माध्यम वर्ग चले गए
बैंक ठप हैं
अमरुल्लाह सालेह ने आगे कहा है कि अफगानिस्तान कूटनीति का स्थान दोहा स्थानांतरित। अफगानिस्तान की विदेश और सुरक्षा से जुड़े फैसले अब रावलपिंडी से लिए जा रहे। तालिबान से अधिक शक्तिशाली एनजीओ हैं। पाकिस्तान सेना और हक्कानी ग्रुप ने आतंकियों को ट्रेनिंग देने में लगी हुई है।
‘अफगानिस्तान को निगलना आसान नहीं’
सालेह ने कहा, ‘अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि पाकिस्तान उसे निगल नहीं सकता। यह सिर्फ समय की बात है। आत्मसम्मान और व्यवसायों को समाप्त होने से बचाने के लिए हर पहलू पर प्रतिरोध ही एक रास्ता है। समय के साथ अफगानिस्तान एक बार फिर खड़ा हो उठेगा।’ कुछ समय पहले अमरुल्लाह सालेह ने काबुल पर तालिबानी कब्जे से पहले की कहानी बयां की थीं। सालेह ने बताया कि कैसे उन्होंने तालिबान के कब्जे के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीर को जला दिया। सालेह ने अपने बॉडीगार्ड से कहा था कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना।
‘अफगानिस्तान को निगलना आसान नहीं’
सालेह ने कहा, ‘अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि पाकिस्तान उसे निगल नहीं सकता। यह सिर्फ समय की बात है। आत्मसम्मान और व्यवसायों को समाप्त होने से बचाने के लिए हर पहलू पर प्रतिरोध ही एक रास्ता है। समय के साथ अफगानिस्तान एक बार फिर खड़ा हो उठेगा।’ कुछ समय पहले अमरुल्लाह सालेह ने काबुल पर तालिबानी कब्जे से पहले की कहानी बयां की थीं। सालेह ने बताया कि कैसे उन्होंने तालिबान के कब्जे के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीर को जला दिया। सालेह ने अपने बॉडीगार्ड से कहा था कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना।