अमेरिकी नागरिकों को फोन पर डरा-धमकाकर उन्हें ऑनलाइन चूना लगाने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने शुक्रवार को यहां तीन युवतियों सहित 21 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) हरिनारायणाचारी मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि मुखबिर की सूचना पर लसूड़िया क्षेत्र में मारे गए छापे के दौरान 21 लोगों को साइबर ठगी के उस अड्डे से गिरफ्तार किया गया जिसे कॉल सेंटर की आड़ में पिछले डेढ़ साल से चलाया जा रहा था।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार लोगों में गुजरात और महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले युवा टेलीकॉलर शामिल हैं, जो अमेरिकी लहजे की अंग्रेजी बोलने में महारत रखते हैं। उन्होंने बताया कि साइबर ठगी में प्रशिक्षित टेलीकॉलर फोन पर खुद को अमेरिका के पुलिस अफसर या सतर्कता (विजिलेंस) विभाग के अधिकारी बताते थे। मिश्रा ने बताया कि वे अमेरिकी नागरिकों को यह झांसा देते हुए धमकाते थे कि उनके सामाजिक सुरक्षा नम्बर का उपयोग धनशोधन, बैंकिंग धोखाधड़ी तथा मादक पदार्थों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में किया गया है और तय रकम तुरंत न चुकाए जाने पर उन्हें बड़े कानूनी पचड़े में फंसना पड़ सकता है।
डीआईजी ने बताया कि ठग गिरोह के सदस्यों द्वारा सूचना तकनीक के दुरुपयोग से कुछ इस तरह इंटरनेट कॉल किए जाते थे कि अमेरिकी नागरिकों के मोबाइल स्क्रीनों पर वहां के स्थानीय फोन नम्बर दिखाई देते थे। उन्होंने बताया कि अमेरिकी नागरिकों द्वारा फोन नहीं उठाए जाने पर वे उन्हें वॉइस मेल भी भेजते थे। मिश्रा ने बताया कि ठगी का कॉल सेंटर चला रहा गिरोह अपने जाल में फंसे शिकार को दो तरीकों से चूना लगा रहा था, अव्वल तो वह कानूनी औपचारिकताओं के नाम पर अमेरिकी लोगों से उनके बैंक खातों व क्रेडिट या डेबिट कार्ड का ब्योरा और अन्य निजी डेटा हासिल करता था और इसके बूते ऑनलाइन सेंध लगाकर कर उन्हें ठगता था।
डीआईजी ने बताया, ठग गिरोह अमेरिकी लोगों को डरा-धमकाकर उनसे प्रीपेड गिफ्ट वाउचर खरीदने को भी कहता था। जाल में फंसे शिकारों से इस वाउचर का ब्योरा हासिल कर उन्हें ऑनलाइन भुना लिया जाता था। उन्होंने बताया, हमारी शरुआती जांच के मुताबिक यह गिरोह हर महीने अमेरिकी नागरिकों से डॉलर में जो ठगी कर रहा था, उसका भारतीय मुद्रा में औसत मूल्य डेढ़ करोड़ रुपये के आस-पास बैठता है। डीआईजी ने बताया कि ठग गिरोह का सरगना गुजरात से ताल्लुक रखता है जिसकी तलाश के साथ ही विस्तृत जांच जारी है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी प्रशासन को उचित माध्यम से मामले की जानकारी भी दी जा रही है।