आखिरकार अमेरिकी सीनेट ने समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाला विधेयक मंगलवार को पारित कर दिया। समलैंगिक विवाह दशकों से अमेरिका में विवाद का विषय रहा है।
बड़ी बात यह रही कि सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी और विपक्षी रिपब्लिकन दोनों ने विधेयक का समर्थन मिला। इसके पारित होने पर संतोष प्रकट करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा- प्यार-प्यार होता है. दोनों दलों के सांसदों ने समलैंगिक विवाह विधेयक का इसलिए समर्थन किया क्योंकि अमेरिका की रुढ़िवादी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गर्भपात कानून की तरह समलैंगिक विवाह का अधिकार भी प्रतिबंधित किए जाने की संभावना थी
जिससे प्यार करें, उससे शादी का हो अधिकार : बाइडन
राष्ट्रपति बाइडन ने विवाह कानून संशोधन विधेयक पारित होने का स्वागत किया। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, ”प्यार प्यार है, और अमेरिकियों को उस व्यक्ति से शादी करने का अधिकार होना चाहिए, जिससे वे प्यार करते हैं।” सीनेट ने विधेयक को 61/36 वोट से पारित किया। बाइडन का बयान इसके बाद आया।
सीनेट से यह विधेयक फिर निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स को भेजा जाएगा। उसकी मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति बाइडन के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया तेजी से होने की संभावना है।
एलजीबीटीक्यू समुदाय को बड़ी राहत
सीनेट के नेता चक शूमर ने समलैंगिक विवाह विधेयक पारित होने को अमेरिका के एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए महत्वपूर्ण कदम बताते हुए इसकी सराहना की। समलैंगिक विवाह अमेरिका में दशकों तक विवादित मुद्दा रहा है। इस विधेयक को पारित कराने में 11 रिपब्लिकन सांसदों का भी समर्थन मिला।
गर्भपात पर फैसला पलटने के बाद समलैंगिक विवाह पर था खतरा
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में समलैंगिक संगठनों को गारंटी दी गई है, लेकिन इसी साल जून में शीर्ष अमेरिकी अदालत ने गर्भपात के अधिकार को वापस ले लिया है। इससे देश के प्रगतिशील लोगों को डर था कि समलैंगिक विवाह पर भी खतरा हो सकता है। इसलिए अमेरिकी विवाह कानून में संशोधन कर उसकी सुरक्षा की जा रही है।
भारत में समलैंगिक विवाह पर केंद्र से मांगा जवाब
इधर, भारत में भी समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एक युगल की वह गुहार सुनने को सहमत हुई है, जिसमें यह कहा गया है कि समलैंगिक विवाह की इजाजत नहीं देना भेदभाव है। यह एलजीबीटीक्यूआईए युगलों के अधिकारों का हनन है।
समलैंगिक विवाह 30 देशों में वैध
याचिका में कहा गया है कि विशेष विवाह अधिनियम, 1954 का हवाला दिया है। इस अधिनियम में उन युगलों के लिए कानूनी विवाह (सिविल मैरिज) का प्रावधान है, जो अपने व्यक्तिगत कानून (पर्सनल लॉ) के तहत शादी नहीं कर सकते। याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए शीर्ष अदालत ने देश की विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित ऐसे सभी मामलों को अपने पास स्थानांतरित करने का भी आदेश दिया है। समलैंगिक विवाहों को अमेरिका समेत 30 देशों में वैध कर दिया गया है।