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2050 में कार्बन संतुलन के लिए करेंगे सक्रिय बातचीत-गुतारेस

रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने 2015 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा की गई प्रतिबद्धता की ओर इशारा करते हुए चेतावनी दी कि 1.5 डिग्री सेल्सियस या दो डिग्री सेल्सियस के जिस लक्ष्य का आह्वान पेरिस समझौता करता है उसे हासिल करने के रास्ते से दुनिया वर्तमान में भटक गयी है

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि विश्व संगठन अमेरिका, चीन, भारत, रूस और जापान जैसे बडे़ कार्बन उत्सर्जनकों द्वारा 2050 तक कार्बन संतुलन (कार्बन न्यूट्रलिटी) के लिए प्रतिबद्धता के वास्ते उनके साथ ‘‘सक्रिय रूप से बातचीत’’ करेगा। गुतारेस और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के महासचिव पेटेरी टालस ने 2019 में वैश्विक जलवायु स्थिति पर डब्ल्यूएमओ बयान जारी किया। 

रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने 2015 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा की गई प्रतिबद्धता की ओर इशारा करते हुए चेतावनी दी कि 1.5 डिग्री सेल्सियस या दो डिग्री सेल्सियस के जिस लक्ष्य का आह्वान पेरिस समझौता करता है उसे हासिल करने के रास्ते से दुनिया वर्तमान में भटक गयी है। उक्त प्रतिबद्धता के तहत वैश्विक तापमान को घटा कर पूर्व औद्योगिक काल के तापमान से दो डिग्री सेल्सियस ऊपर तक के स्तर तक लाने की बात कही गई है। 
 गुतारेस ने यहां मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘निश्चित तौर पर जी20 विश्वभर के उत्सर्जनों का 80 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है। यदि कोई पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, चीन, भारत, रूस और जापान को देखेगा आपको उत्सर्जन का बड़ा हिस्सा दिखेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम इन्हीं देशों में से अधिक से अधिक के साथ इस वर्ष सक्रिय रूप से बातचीत करेंगे ताकि 2050 में कार्बन संतुलन के लिए उनकी प्रतिबद्धता करायी जा सके।’’

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘2019 में आस्ट्रेलिया, भारत, जापान और यूरोप में रिकार्ड उच्च तापमान से स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई।’’

 टलास ने कहा, ‘‘इसको देखते हुए कि ग्रीनहाउस गैस स्तर की बढ़ोतरी जारी रहेगी, गर्मी भी जारी रहेगी। हाल ही में आये एक पूर्वानुमान से यह पता चलता है कि अगले पांच वर्षों में एक नया वार्षिक वैश्विक तापमान रिकॉर्ड होने की संभावना है।’’

रिपोर्ट में इसका उल्लेख है कि 2019 में विश्व के कई हिस्सों में मौसम की प्रतिकूल स्थितियां देखी गईं। भारत, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार में मानसून मौसम के दौरान वर्षा दीर्घकालिक औसत से अधिक देखी गई और बाढ़ से क्षेत्र में करीब 2200 लोगों की जानें गईं।

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