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युद्ध में मानवीय गलियारे चिंता का सबब या आजादी की किरण? जानिए कितने प्रभावी हैं निकासी कॉरिडोर

यूक्रेन के और शहरों पर रूसी सेना के बढ़त हासिल करने के बाद गोलीबारी में फंसे लाखों नागरिकों के लिए चिंता बढ़ गयी है।

यूक्रेन के और शहरों पर रूसी सेना के बढ़त हासिल करने के बाद गोलीबारी में फंसे लाखों नागरिकों के लिए चिंता बढ़ गयी है। रूस ने यूक्रेन में युद्ध की वजह से फंस गए नागरिकों को जाने देने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने की घोषणा की थी लेकिन यह कुछ पल ही कायम रहा। रूस और उसके सहयोगी देश बेलारूस की ओर जाने वाले निकासी मार्गों की यूक्रेन तथा अन्य लोगों ने आलोचना की है। रूस ने गलियारों की घोषणा करने के बाद भी कुछ शहरों पर रॉकेट दागे। मॉस्को ने 2015 में सीरिया युद्ध में घुसने के बाद राष्ट्रपति बशर असद की सेना को खदेड़ने के लिए भी ऐसे ही हथकंडे अपनाए थे। 
मानवीय गलियारे क्या हैं और वे क्यों विवादित हैं? 
जब कोई आबादी युद्ध क्षेत्र में फंस जाती है तो मानवीय गलियारे बनाए जाते हैं। इसके पीछे विचार यह है कि उन नागरिकों को निकलने देने के लिए कुछ वक्त तक लड़ाई रोकी जाए, जिन्हें चिह्नित मार्गों से भागने की आवश्यकता है या वहां बचे नागरिकों के लिए तत्काल मानवीय सहायता उपलब्ध करायी जाए। इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार 1990 में बोस्नियाई युद्ध के दौरान हुआ था जब संयुक्त राष्ट्र ने नागरिकों के लिए ‘‘सुरक्षित क्षेत्र’’ बनाए। लेकिन यह नाकाम हो गया था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र उन क्षेत्रों पर हमला होने पर उनकी रक्षा नहीं कर पाया था।
सीरिया में उनका इस्तेमाल कैसे किया गया?
सीरियाई युद्ध के दौरान रूस और सीरियाई सेना ने विपक्ष के कब्जे वाले शहरों और जिलों पर व्यवस्थागत तरीके से कब्जा करने के लिए एक रणनीति बनायी थी। यह सिलसिला लंबे समय तक चला था। तब कब्जे वाले रिहायशी जिलों, अस्पतालों और बुनियादी ढांचों पर हवाई हमले किए गए, तोपें दागी गईं और रॉकेट बरसाए गए थे।
हर मामले में रूस और सीरिया मानवीय गलियारे की पेशकश करके नागरिकों और कुछ लड़ाकों से भी कहते कि अगर वे जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं। दमिश्क, होम्स और हामा शहरों के कुछ हिस्सों के आसपास जिन जिलों में कब्जा किया गया, वहां मानवीय गलियारे बनाए गए थे।
क्या ये मानवीय गलियारे सुरक्षित थे?
रूसी और सीरियाई सेना अक्सर एक-दूसरे पर मानवीय गलियारों के आसपास संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाती रही। अलेप्पो में कब्जे के दौरान बची 40 वर्षीय कार्यकता आफरा हाशिम ने कहा, ‘‘जब वे इन मानवीय गलियारों या संघर्ष विराम के बारे में बात करते तो हम कभी उनका यकीन नहीं करते थे। आप ऐसे पक्ष पर रुकने का यकीन कैसे कर सकते हैं जो हर वक्त आप पर बम बरसा रहा है?’’
अब लंदन में रहने वाली आफरा ने बताया कि कैसे 14 दिसंबर 2016 को एक मानवीय गलियारे को लेकर हुए संघर्ष विराम के दौरान जिस घर में उन्होंने अपने परिवार के साथ शरण ली हुई थी, उस पर आग लगाने वाले बम बरसाए गए। ऐसी भी घटनाएं हुईं जब नागरिकों या लड़ाकों के सुरक्षित गलियारों से भागने की कोशिश करने के दौरान सीरियाई सेना ने उन्हें बंधक बना लिया।
तो मानवीय गलियारे कितने प्रभावी हैं?
आखिरकार, वे रूस और सीरियाई सरकार के लक्ष्यों को हासिल करने में प्रभावी हुए और यह लक्ष्य था : विपक्षी इलाकों पर नियंत्रण हासिल करना। मानवाधिकार समूहों और मानवाधिकार एजेंसियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रयास किया जाना चाहिए चाहे वे कहीं भी हों। हमला करने के साथ मानवीय गलियारा बनाने का हथकंडा निवासियों को एक क्रूर विकल्प देता है कि वे अपने हमलावरों के हमलों से बचकर भाग निकलें या उनकी बमबारी में मारे जाएं।

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