सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान को अपनी रईसी पर गर्व है। न्यू यॉर्क टाइम्स से बातचीत में अपनी संपत्ति का जिक्र करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह अमीर हैं, गरीब नहीं। वह गांधी या मंडेला नहीं हैं। हाल ही में यह सामने आया है कि वह फ्रेंच शैटो के मालिक हैं, यह दुनिया का सबसे महंगा घर है।
उन्होंने अपनी संपत्ति पर गर्व करते हुए कहा कि यह उनका निजी मामला है। अपने निजी खर्चों पर उन्होंने कहा कि वह अपनी कमाई का महज 49 फीसदी ही खुद पर खर्च करते हैं। बाकी का 51 फीसदी पैसा वह चैरिटी में दे देते हैं।
जानकारी के अनुसार यह उम्मीद जताई जा रही है कि सलमान मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिल सकते हैं। जिसमें उनके और ट्रंप के बीच ईरान को लेकर बातचीत हो सकती है। जो कि दोनों ही देशों का प्रतिद्वंद्वी है। इसके साथ ही यमन के युद्ध और कतर के राजनीतिक विवाद पर भी चर्चा कर सकते हैं। सलमान अपनी विदेश नीति को लेकर भी ट्रंप से बात कर सकते हैं।
राजकुमार सलमान ने यह बात भी स्वीकार की कि सऊदी अरब रूढ़ीवादी इस्लाम की जकड़ में है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब इस रूढ़ीवादिता का शिकार 1979 में हुआ था। उस समय ईरान में इस्लामिक रिवॉल्यूशन आया जिसके बाद मक्का की मस्जिद पर चरमपंथियों ने कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि असली सऊदी अरब ऐसा था ही नहीं, वह चाहते हैं कि लोग अपने स्मार्टफोन पर 60 और 70 के दशक के सऊदी अरब को सर्च करके देखें।
उन्होंने कहा कि अन्य गल्फ देशों की तरह ही सऊदी के लोग भी आम जिंदगी जीते थे। महिलाएं कार चलाती थीं, फिल्म और थियेटर थे। महिलाएं काम करने भी जाती थीं। सऊदी के लोग आम लोगों की तरह ही जीवन जी रहे थे और सऊदी भी किसी और देश की तरह ही विकास कर रहा था। लेकिन 1979 ने सब बदल दिया।
आपको बता दें कि सलमान ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत से कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वह सब कुछ कानून के दायरे में करते हैं और उन्होंने ऐसा किया भी। उनका कहना है कि उस दौरान उन्होंने करीब 100 बिलियनव डॉलर रिकवर किए। इसी मामले में सऊदी के कई राजकुमारों को जेल भी हुई है। जिसके बाद उन राजकुमारों को कई सप्ताह तक रियाद के आलीशान होटल में बंद करके भी रखा गया था। उनके अनुसार उनका मकसद भ्रष्टाचारियों को सजा दिलवाना था न कि पैसा निकालना।
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