भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से वैश्विक स्तर पर उन कमियों का दूर करने का आग्रह किया है जिससे मुंबई और पठानकोट जैसे आतंकी हमला करने वाले आतंकियों को न्याय के घेरे में लाया जा सके। विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व), विजय ठाकुर सिंह ने संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ काउंटर टेरेरिज्म (यूएनओसीटी) द्वारा आयोजित ‘ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स ऑफ विक्टिम्स ऑफ टेरेरिज्म’ (जीएफवीटी) की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक में सोमवार को यह टिप्पणी की।
इस बैठक की सह-अध्यक्षता अफगानिस्तान और स्पेन के विदेश मंत्रियों ने की। वर्चुअल तौर पर आयोजित इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने विजय ठाकुर सिंह के नेतृत्व में हिस्सा लिया। बैठक में सिंह ने आतंकवाद के पीड़ितों के अधिकार के महत्व पर जोर दिया ताकि उन्हें उनके खिलाफ हुए अपराधों के लिए न्याय मिल सके। सचिव ने कहा कि 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले और 2016 के पठानकोट आतंकवादी हमले के पीड़ितों को पाकिस्तान की अनिच्छा और असहयोगात्मक रवैये के कारण अब तक न्याय नहीं मिल पाया है।
उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आतंकवाद के अपराधियों को न्याय के घेरे में लाया जाए, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में कमियों को दूर करना चाहिए।” सिंह ने आगे कहा, “आतंकवादियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन में महिलाएं और बच्चे के खास तौर पर नाइंसाफी का शिकार होती है। इसलिए समाज के इन कमजोर वर्गों पर संवेदनशीलता के साथ ध्यान देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि मौजूदा महामारी के बीच भी आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है। भारतीय प्रतिनिधि ने 21 अगस्त को ‘आतंकवाद के पीड़ितों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्मरण दिवस और श्रद्धांजलि दिवस’ के रूप में मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सराहना की।