म्यांमार के मौजूदा हालात पर बयान जारी करने को लेकर हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की चर्चाओं में भारत ने रचनात्मक भूमिका निभाते हुए एक ”महत्वपूर्ण सेतु” के रूप में काम किया है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने ”निंदात्मक” स्वभाव नहीं अपनाया जाए यह सुनिश्चित करते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया और हस्तांतरण के महत्व को रेखांकित किया।
पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने गुरुवार को आम सहमति से बयान जारी कर 1 फरवरी को म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट और ‘स्टेट काउंसलर’ आंग सान सू की तथा राष्ट्रपति विन मिंत समेत राजनीतिक नेताओं को ”मनमाने ढंग से हिरासत” में लिये जाने पर ”गहन चिंता” व्यक्त की थी। संयुक्त राष्ट्र के सबसे शक्तिशाली अंग सुरक्षा परिषद ने म्यांमार में हुए घटनाक्रम के 3 दिन बाद बयान जारी किया था। परिषद के सदस्यों ने हिरासत में लिए गए सभी लोगों को तत्काल रिहा करने की अपील की है।
जनवरी में परिषद का अस्थायी सदस्य बनने वाला भारत बयान जारी करने को लेकर हुई चर्चाओं के दौरान ”बेहद रचनात्मक” रूप से शामिल रहा। सूत्रों ने कहा कि भारत ने विभिन्न विचारों को साथ लाकर एक ”महत्वपूर्ण सेतु” के रूप में काम किया और संतुलित निष्कर्ष सुनिश्चित करने की इच्छा व्यक्त की। साथ ही भारत ने ”निंदात्मक” रवैये के बजाय ऐसा बयान जारी करने की इच्छा जतायी जिससे इस प्रक्रिया में आगे बढ़ने में मदद मिले और यह गैर-लाभकारी साबित न हो पाए। सूत्रों ने कहा कि भारत ने सभी पक्षों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत की जिसकी ब्रिटेन और अन्य देशों ने सराहना की है।