आर्मीनिया और अज़रबैजान के बढ़ते विवाद को लेकर संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों ने मंगलवार को दोनों देशों को एक-दूसरे के नागरिकों के खिलाफ जारी भेदभाव को रोकने का आदेश दिया है। अदालत को मामले के गुण-दोष तय करने में वर्षों लग सकते हैं। इन मामलों में दोनों देशों पर नस्लीय भेदभाव खत्म करने के उद्देश्य वाली एक अंतरराष्ट्रीय संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। गौरतलब है कि, दोनों देशों में नागोर्नो-कारबाख क्षेत्र को लेकर विवाद बना हुआ है जिसके लिए पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच में युद्ध भी हुआ था।
नस्लीय घृणा को रोकने का दिया आदेश
न्यायाधीशों ने पहले अज़रबैजान को युद्ध के दौरान पकड़े गए सभी कैदियों की सुरक्षा, आर्मीनियाई लोगों के खिलाफ नस्लीय घृणा को रोकने और आर्मीनिया की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचाने वालों को दंडित करने का आदेश दिया। इसके बाद अदालत ने आर्मीनिया को आजरबैजान के लोगों के खिलाफ नस्लीय घृणा को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर अंकुश लगाने का आदेश दिया। अदालत ने दोनों पक्षों को आदेश दिया कि उन्हें, ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचना चाहिए, जो अदालत के समक्ष विवाद को बढ़ा सकती है या इसके समाधान को अधिक कठिन बना सकती है।
छह सप्ताह तक चला था युद्ध
पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच अलगाववादियों के क्षेत्र नागोर्नो-कारबाख को लेकर छह सप्ताह तक युद्ध चला था, जिसमें लगभग 6,600 लोगों की मौत हुई थी। आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख को लेकर दशकों से तनातनी चल रही है। यह क्षेत्र अज़रबैजान में स्थित है, लेकिन 1994 में हुए एक युद्ध के बाद से यह आर्मीनिया द्वारा समर्थित आर्मीनियाई जातीय बलों के नियंत्रण में आ गया था। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का निर्णय अंतिम और कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है।