यरुशलम : इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को देश में मध्यावधि चुनाव का हवाला देकर नौ सितंबर की भारत की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द कर दी। वह एक दिन की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले थे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी करके बताया कि दोनों नेताओं ने फोन पर बात की और वे इस बात पर सहमत हुए कि कार्यक्रम की व्यस्तता के कारण प्रधानमंत्री की यात्रा 17 सितंबर में होने वाले चुनाव के बाद होगी।
इस साल यह दूसरा मौका है जब इज़राइल के नेता ने भारत की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द की है। वह अप्रैल में हुए चुनाव से पहले भी भारत की अपनी यात्रा को रद्द कर चुके हैं।
दरअसल, नेतन्याहू की भारत की यात्रा को इज़राइल में इस नज़रिये से देखा जा रहा था कि वह 17 सितंबर को होने वाले चुनाव से पहले दुनिया भर में अपनी स्वीकार्यता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं और इससे अपने प्रचार को गति देने का प्रयास कर रहे हैं।
जुलाई में, नेतन्याहू की लिकुद पार्टी ने मतदाताओं को रिझाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी तस्वीर वाले बैनर लगाए थे।
नेतन्याहू का प्रचार विश्व के नेताओं के साथ उनके करीबी तालमेल को प्रदर्शित करने की कोशिश है। प्रचार अभियान में यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि नेतन्याहू को इज़राइल की राजनीति में एक ऐसे नेता के तौर पर पेश किया जाए, जिसका कोई जोड़ न हो, जो देश की सुरक्षा के लिए अहम है।
देश में नौ अप्रैल को हुए चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था और नेतन्याहू गठबंधन सरकार बनाने में विफल रहे थे। इसके बाद इज़राइल के सांसदों ने मई में 21वीं संसद को भंग करने के प्रस्ताव को 45 के मुकाबले 74 मतों से पारित कर दिया था।
नेतन्याहू ने जनवरी 2018 में भारत की यात्रा की थी जबकि प्रधानमंत्री मोदी 2017 में तेल अवीव गए थे। वह यहूदी देश जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे।
दोनों नेताओ के बीच करीबी तालमेल इज़राइली प्रेस में चर्चा का विषय रहता है।