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जयशंकर ने श्रीलंका की अपनी यात्रा पूरी की, भारतीय उच्चायोग ने दौरे को ‘‘काफी सफल’’ बताया

विदेश मंत्री एस जयशंकर बृहस्पतिवार को श्रीलंका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद स्वदेश रवाना हुए। तीन दिवसीय यात्रा के दौरान उन्होंने देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ ‘‘रचनात्मक चर्चा’’ की।

विदेश मंत्री एस जयशंकर बृहस्पतिवार को श्रीलंका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद स्वदेश रवाना हुए। तीन दिवसीय यात्रा के दौरान उन्होंने देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ ‘‘रचनात्मक चर्चा’’ की। 
विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके श्रीलंकाई समकक्ष महिंदा राजपक्षे के बीच सितंबर में एक आनलाइन शिखर सम्मेलन के तीन महीन बाद श्रीलंका की यात्रा की जिस दौरान दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर सहमति जतायी थी जिसमें आतंकवाद निरोधक सहयोग, समुद्री सुरक्षा और व्यापार एवं निवेश शामिल हैं। 
कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘‘डीसीआर गुणवर्द्धन को आतिथ्य और रचनात्मक चर्चा के लिए धन्यवाद। डॉ. एस जयशंकर की यात्रा को सफल बनाने के वास्ते सहयोग के लिए श्रीलंका के विदेश मंत्रालय को धन्यवाद। आगे नजदीकी तौर पर काम करने को उत्सुक हैं।’’ 
जयशंकर ने अपनी यात्रा के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, विदेश मंत्री दिनेश गुणवर्द्धन, कई अन्य मंत्रियों और विपक्षी नेताओं के साथ बैठकें कीं। 
जयशंकर ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत हमेशा श्रीलंका का ‘‘भरोसेमंद साथी और विश्वसनीय दोस्त’’ रहेगा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि नयी दिल्ली ‘‘आपसी विश्वास, आपसी हित, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता’’ के आधार पर कोलंबो के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार है। 
जयशंकर ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाएं प्रेषित कीं और कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार के लिए सहयोग पर चर्चा की। 
जयशंकर ने कहा, ‘‘हम अब कोविड-19 के बाद के सहयोग को देख रहे हैं और मैं भारत से टीके प्राप्त करने को लेकर श्रीलंका द्वारा दिखाई गई दिलचस्पी के साथ जा रहा हूं।’’ यह जयशंकर की नए साल की पहली विदेश यात्रा थी । साथ ही यह श्रीलंका के लिए नये साल में किसी विदेशी हस्ती की देश की पहली यात्रा भी थी। 
श्रीलंकाई नेतृत्व ने जयशंकर के साथ बैठकों के दौरान कोविड-19 टीका प्राप्त करने के लिए भारत की सहायता का औपचारिक रूप से अनुरोध किया। 
जयशंकर ने समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने श्रीलंका को भारत का निकटतम समुद्री पड़ोसी और साझेदार बताते हुए कहा, ‘‘हम बढ़ती समुद्री और सुरक्षा चुनौतियों को पूरा करने के लिए श्रीलंका की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार हैं।’’ 
जयशंकर ने अपनी यात्रा के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को श्रीलंका में तमिल नेतृत्व के साथ मुलाकात की और राष्ट्रीय सुलह के हिस्से के रूप में विकास में प्रांतीय परिषदों की भूमिका से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। 
जयशंकर ने इससे पहले यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया था कि एकजुट श्रीलंका के भीतर अल्पसंख्यक तमिलों की आकांक्षाओं का समाधान किया जाए। 
जयशंकर ने बुधवार को गुणवर्द्धन के साथ मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए श्रीलंका की सुलह प्रक्रिया को भारत का समर्थन जताया था। 
जयशंकर ने मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद के साथ ‘‘एक उपयोगी बैठक’’ भी की और मत्स्य पालन में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की। 
जयशंकर ने कहा, ‘‘हम श्रीलंका से अपने मछुआरों की जल्द वापसी चाहते हैं।’’ 
दोनों देशों के मछुआरों को अनजाने में एक-दूसरे के जलक्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अक्सर गिरफ्तार किये जाते हैं। 
उन्होंने विपक्ष के नेता एस प्रेमदासा और यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे के साथ भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की। 
मंत्री ने श्रीलंका के उद्योग जगत के नेताओं के साथ भी बातचीत की और आर्थिक सहयोग पर उनकी अंतर्दृष्टि और सुझावों की सराहना की। 

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