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पाक UN के मंच पर उठाएगा कश्मीर मुद्दा

जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर विभिन्न देशों से व्यक्तिगत समर्थन पाने में असफल रहने के बाद पाकिस्तान अब इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर उठाने की तैयारी कर रहा है।

जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे पर विभिन्न देशों से व्यक्तिगत समर्थन पाने में असफल रहने के बाद पाकिस्तान अब इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर उठाने की तैयारी कर रहा है। इस बीच पाकिस्तान का मुख्य एजेंडा मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना होगा। भारत सरकार द्वारा पांच अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य का विभाजन करने के बाद से बेचैन पाकिस्तान जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में यह मुद्दा उठाने के लिए अपने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भेज रहा है। 
पाकिस्तान का उद्देश्य मानवाधिकार की वैश्विक संस्था को भारत के खिलाफ, विशेषकर संविधानिक प्रक्रिया से ऐतिहासिक कदम हटाने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में लागू प्रतिबंधों के संदर्भ में कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां कराने का है। निस्संदेह भारत ने भी पाकिस्तान की योजना को ठप करने की योजना बनाई है। भारत ने पाकिस्तान में अपने उच्चायुक्त अजय बिसारिया और विदेश मंत्रालय के कुछ अन्य शीर्ष अधिकारियों को इस पर प्रकाश डालने के लिए भेजा है कि पाकिस्तान भारत के आंतरिक मुद्दे को गैर जरूरी रूप से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रयास कर रहा है। 
भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अच्छी तरह प्रस्तुत किए गए अपने उन तर्को पर जोर देगा कि प्रतिबंध लोगों की जान बचाने के लिए लगाए गए हैं और उन रिकॉर्ड का हवाला दे सकता है कि पिछले एक महीने में पुलिस की किसी कार्रवाई में एक भी नागरिक की मौत नहीं हुई है। भारत इस पर भी प्रकाश डाल सकता है कि कैसे पाकिस्तान द्वारा समर्थित और पोषित सीमापार आतंकवाद के कारण जम्मू एवं कश्मीर में रक्तपात होता है और विकास प्रभावित होता है। 

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जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद भारत ने कूटनीतिक चालें चलते हुए दुनिया की प्रमुख ताकतों के साथ-साथ अन्य देशों को यह निर्णय लेने के पीछे का कारण बताने का अभियान छेड़ दिया है। भारत ने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में दुनिया को बताया है कि जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित करने का निर्णय राज्य में आर्थिक प्रगति करने और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। मोदी ने दुनिया के विभिन्न नेताओं को फोन या व्यक्तिगत मुलाकात कर यह बताया है। 
उन्होंने हाल ही में रूस के व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम (ईईएफ) के इतर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहमद के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भी यही किया। इस बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के पक्ष को समझाने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों का दौरा किया है। पाकिस्तान ने यूएनएचआरसी में जाने का यह कदम भारत को अपना फैसला वापस लेने के लिए तीसरे देश द्वारा मध्यस्थता करने की मांग पर ज्यादातर देशों से इंकार सुनने के बाद उठाया है। 

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पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध की धमकी देकर और अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय युद्ध में सहायता करने में भविष्य में असमर्थता जाहिर करते हुए विश्व समुदाय को ब्लैकमेल करने का भी प्रयास किया। हालांकि सभी देश इसी पर कायम रहे कि वे इसमें संलिप्त नहीं होना चाहेंगे। ज्यादातर देशों ने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है और कुछ अन्य ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर पर कोई भी मामला भारत और पाकिस्तान मिलकर सुलझा लेंगे। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका इस मुद्दे पर खाड़ी देशों और ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉन्फ्रेंस (ओआईसी) का रुख रहा, जो पाकिस्तान के प्रलोभन में नहीं फंसे। 
पाकिस्तान के घावों को कुरेदने का काम प्रमुख इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने किया। यूएआई ने भारत की आलोचना करने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ से सम्मानित कर दिया। इसी तरह बहरीन ने भी अपने सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान से नवाज दिया। कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा मानते हुए पाकिस्तान के ‘ऑल वेदर फ्रेंड’ चीन ने पिछले महीने राज्य की स्थितियों पर संयुक्त राष्ट्र में अनौपचारिक चर्चा आयोजित करा इस्लामाबाद को कुछ सांत्वना दी। 
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को भारत के खिलाफ टिप्पड़ी कराने के लिए चीन के माध्यम से पाकिस्तान के प्रयास बुरी तरह असफल रहे। यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्यों में से चार- अमेरिका, रूस, फ्रांस और इंग्लैंड ने व्यक्तिगत रूप से स्वीकार किया कि इस मुद्दे पर चर्चा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से होनी चाहिए। मोदी और खान से फोन पर बात करने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपना रुख मध्यस्थता (दोनों देशों की सहमति से) के प्रस्ताव और पाकिस्तान को तनाव कम करने के लिए कहने पर कर दिया। 

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