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तालिबान में आपसी टूट की अटकलों के बीच सामने आया बरादर, खुद के घायल होने की खबरों का किया खंडन

अफगान नेशनल टीवी के साथ एक साक्षात्कार में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर साक्षात्कारकर्ता के साथ एक सोफे पर बैठा दिख रहा है और उसके हाथ में पेपर था जिसे देखकर वह जवाब दे रहा था।

तालिबान में आपसी टूट की खबरों के बीच समूह के सह-संस्थापक और अफगानिस्तान के उपमुख्यमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का बयान सामने आया है। उन्होंने तालिबान की नई कार्यवाहक सरकार में रार और खुद के घायल होने की खबरों का खंडन किया है। बरादर ने कहा कि सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अफगान नेशनल टीवी के साथ एक साक्षात्कार में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर साक्षात्कारकर्ता के साथ एक सोफे पर बैठा दिख रहा है और उसके हाथ में पेपर था जिसे देखकर वह जवाब दे रहा था। इस साक्षात्कार में बरादर ने मीडिया में खुद को लेकर चल रहीं हर खबर का खंडन किया है।
साक्षात्कार में बरादर ने कहा कि अफगान में विदेशी सेनाओं के कब्जे को खत्म करने के लिए हमने बलिदान दिया है और कई सालों तक संघर्ष किया है। यह बलिदान और संघर्ष न सत्ता के लिए है और न पद के लिए। मालूम हो कि तालिबान सरकार में मतभेद की खबरें उप-प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के सार्वजनिक मंच से गायब होने के बाद से ही जोर पकड़ रही हैं। 

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हक्कानी नेटवर्क संग झड़प के बाद काबुल छोड़कर भागने की खबरों पर बरादर ने कहा कि वह दावे का खंडन करने के लिए मीडिया को बताए बिना काबुल के बाहर यात्रा पर थे। उन्होंने कहा कि इसलिए हम अफगान राष्ट्र और सभी वरिष्ठ और जूनियर मुजाहिदीन को आश्वस्त करते हैं कि वे बिल्कुल भी चिंता न करें और न ही चिंता की कोई बात है। 
बरादार से यह भी पूछा गया कि जब वह रविवार को काबुल गए तो कतर के विदेश मंत्री से क्यों नहीं मिले। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, बरादर को अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के साथ नहीं देखा गया था, जब वह शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी से मिले थे। इसके जवाब में बरादर ने कहा कि हमें इस बात की जानकारी नहीं थी कि विदेश मंत्री कतर से आ रहे हैं। अगर हमें पता होता, तो हम अपनी यात्रा स्थगित कर देते। और हम यात्रा पर थे, इसलिए बैठक नहीं हुई। 
वहीं इससे पहले वरिष्ठ तालिबान सदस्यों ने ‘बीबीसी’ को बताया था कि बीते हफ्ते अंतरिम सरकार के दो विरोधी धड़ों के सदस्य काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन में भिड़ गए थे। अमेरिका के खिलाफ जीत में किसका योगदान ज्यादा था, यह सवाल बहस का केंद्र था। 

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