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म्यांमार सेना ने कहा- तख्तापलट के बावजूद देश की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं

म्यांमार सेना ने कहा है कि वह आपातकाल के दौरान विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं करेगी और सभी देशों में मैत्रीपूर्ण संबंध बरकरार रखेगी।

म्यांमार सेना ने कहा है कि वह आपातकाल के दौरान विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं करेगी और सभी देशों में मैत्रीपूर्ण संबंध बरकरार रखेगी। रक्षा सेवाओं के कमांडर इन चीफ जनरल मिन आंग हलेंग ने एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि एक वर्ष की अवधि के लिए लगाए गए आपातकाल में विदेश, कार्यकारी और आर्थिक नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और म्यांमार अपनी मौजूदा राजनीतिक राह पर चलता रहेगा।
उन्होंने विदेशी निवेश का आग्रह करते हुए कहा कि देश में कोरोना से अर्थिक क्षेत्र पर जो असर पड़ा है उसे दूर करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब नागरिक सरकार की बहाली की मांग को लेकर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यांगून और मांडले से प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक दोनों शहरों में लोग नागरिक सरकार की बहाली के लिए सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा देश की निर्वाचित नेता आंग सान सू की और अन्य नेताओं की रिहाई की मांग भी की जा रही है।
हलेंग इस समय राष्ट्र प्रशासनिक परिषद के अध्यक्ष भी हैं और उन्हें इस बात को दोहराया है कि आपातकाल की अवधि के दौरान एक 5 सूत्री कार्ययोजना लागू की जाएगी। इसी के तहत हाल ही में केन्द्रीय चुनाव आयोग में काफी सुधार किए गए हैं और यह पिछले वर्ष हुए चुनावों की प्रकिया की समीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि आपातकाल की एक वर्ष की अवधि बीत जाने के बाद देश में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराए जाएंगे और जो भी पार्टी लोकतांत्रिक मानकों का पालन करते हुए बहुमत हासिल करेगी उसे ही सत्ता हस्तांतरित की जाएगी।
गौरतलब है कि देश में 1 फरवरी को सेना ने सत्ता अपने हाथों में ले ली थी और राष्ट्रपति यू विन मिंट तथा राष्ट्रीय सलाहकार आंग सान सू की को हिरासत में ले लिया था। सेना का कहना है कि पिछले वर्ष देश में जो चुनाव आयोजित कराए गए थे उनमें जमकर धांधली हुई थी और इसी को देखते हुए संसद के नए सत्रों को स्थगित करने की मांग भी सेना की तरफ से की गई है। लेकिन राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने इस आरोप का खंडन किया है।

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