म्यांमार की अदालत ने नेता आंग सान सू की के मामले में अपना फैसला टाला, बचाव पक्ष के प्रस्ताव पर हुआ था सहमत - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

म्यांमार की अदालत ने नेता आंग सान सू की के मामले में अपना फैसला टाला, बचाव पक्ष के प्रस्ताव पर हुआ था सहमत

म्यांमार की एक अदालत ने वहां की अपदस्थ नेता आंग सान सू की के मामले में एक अतिरिक्त गवाह को अदालत में गवाही देने की अनुमति देते हुए अपना फैसला मंगलवार को टाल दिया है

म्यांमार की एक अदालत ने वहां की अपदस्थ नेता आंग सान सू की के मामले में एक अतिरिक्त गवाह को अदालत में गवाही देने की अनुमति देते हुए अपना फैसला मंगलवार को टाल दिया है। एक कानूनी अधिकारी के मुताबिक अदालत बचाव पक्ष के उस प्रस्ताव पर सहमत हुई है जिसमें एक डॉक्टर को गवाही देने की अनुमति की मागं की थी जो अदालकत आने में असमर्थ था। इस वर्ष फरवरी में म्यांमार की सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा कर लिया था और आंग सान सू की को हिरासत में ले लिया गया था।
अदालत में चल रहे हैं कई मुकदमे
आंग सान सू की पर भ्रष्टाचार सहित कई अन्य आरोपों में भी मुकदमे चल रहे हैं, जिनमें दोषी ठहराए जाने पर उन्हें कई वर्षों तक जेल में रहना पड़ सकता है। अदालत को सू की के खिलाफ लगाए गए कोरोना वायरस प्रतिबंधों का उल्लंघन करने और उकसाने के आरोपों में मंगलवार को फैसला सुनाना था। कानूनी अधिकारी ने कहा कि, न्यायाधीश ने छह दिसंबर तक कार्यवाही स्थगित कर दी, जब नए गवाह, डॉ ज़ॉ म्यिंट मौंग की गवाही का दिन तय है। यह साफ नहीं हो सका है कि फैसला कब सुनाया जाएगा। सू की के खिलाफ मामलों को व्यापक रूप से उन्हें बदनाम करने और अगला चुनाव लड़ने से रोकने के लिए साजिश के रूप में देखा जाता है। देश का संविधान किसी को भी जेल की सजा सुनाए जाने पर उच्च पद पर आसीन होने या सांसद-विधायक बनने से रोकता है।
अब भी बरकरार है सू की लोकप्रियता
म्यांमार में गत नवंबर में हुए चुनाव में सू की पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी जबकि सेना से संबद्ध दल को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। तब सेना ने मतदान में धांधली का आरोप लगाया था। लेकिन स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों को जांच में किसी बड़ी अनियमितता का पता नहीं चला। सू की की लोकप्रियता बरकरार है और उन्हें लोग आज भी सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक मानते हैं। सत्ता पर सेना के कब्जा किए जाने का देशव्यापी विरोध हुआ और इसे सुरक्षा बलों ने निर्ममता से कुचला। ‘असिस्टेन्स एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ के आंकड़े बताते हैं कि, सुरक्षा बलों की कार्रवाई में करीब 1,300 नागरिकों की जान गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

8 + 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।