भारत के साथ लगते विवादित क्षेत्रों में जनगणना कराने को लेकर असमंजस में नेपाल, क्या फिर होगा मनमुटाव - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

भारत के साथ लगते विवादित क्षेत्रों में जनगणना कराने को लेकर असमंजस में नेपाल, क्या फिर होगा मनमुटाव

नेपाल ने गुरुवार को व्यक्तिगत डेटा और सूचनाओं के संग्रह के साथ एक दशक में एक बार होने वाली जनगणना प्रक्रिया शुरू की।

नेपाल ने गुरुवार को व्यक्तिगत डेटा और सूचनाओं के संग्रह के साथ एक दशक में एक बार होने वाली जनगणना प्रक्रिया शुरू की। हालांकि, काठमांडू में अधिकारी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि क्या कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा जैसे भारत के साथ लगते विवादित क्षेत्रों में भी सर्वेक्षण किया जाएगा या नहीं।
पूर्व के. पी. शर्मा ओली सरकार ने पिछले साल भारत के साथ लगते विवादित क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक नया नक्शा जारी किया था, जिसने नेपाल और भारत के बीच सदियों पुराने द्विपक्षीय संबंधों को सर्वकालिक निचले स्तर पर धकेल दिया था। यह नेपाल-भारत संबंधों में एक प्रमुख अड़चन के रूप में उभरा और नई दिल्ली ने काठमांडू के नए मानचित्र को खारिज करते हुए उक्त विवादित क्षेत्रों को भारतीय सीमा के अंदर बताया।
नेपाल का वह कदम ऐसे समय पर सामने आया था, जब भारत ने घोषणा की थी कि वह लिपुलेख के माध्यम से चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में कैलाश मानसरोवर के लिए एक सड़क लिंक का निर्माण कर रहा है। नया नक्शा संसद द्वारा संवैधानिक संशोधन के माध्यम से अपनाया गया था। अधिकारी काफी समय से इस बारे में सोच रहे हैं कि इस इलाके में जनगणना कैसे की जाए, इसलिए नहीं कि यह दूरस्थ क्षेत्र है, बल्कि इसलिए कि यह भारत द्वारा नियंत्रित है।
कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा क्षेत्र में जनगणना कराने को लेकर अधिकारी अभी भी असमंजस में हैं। केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (सीबीएस) के महानिदेशक नबीन लाल श्रेष्ठ ने कहा, “हम 12वीं राष्ट्रीय जनसंख्या और घरेलू जनगणना के लिए कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा में रहने वाले लोगों की आवश्यक जानकारी एकत्र करने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी (सैटेलाइट टेक्नोलॉजी) का उपयोग करने की उम्मीद कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हमने विदेश मंत्रालय के माध्यम से भारत से उन तीन क्षेत्रों में जनगणना कराने का अनुरोध किया है।” उन्होंने कहा कि अभी तक भारत की ओर से कोई अनुमति नहीं दी गई है। नेपाल दावा करता रहा है कि पश्चिम-उत्तर में उसकी सीमा लिंपियाधुरा से शुरू होती है जहां से महाकाली नदी निकलती है। कालापानी की बात करें तो यह वर्तमान में भारतीय सैनिकों के कब्जे में है और लिपुलेख नेपाल, भारत और चीन के बीच त्रिकोणीय जंक्शन है।
सीबीएस ने कहा है कि सरकार क्षेत्र की जनगणना करने के लिए भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है। ब्यूरो के अनुसार, प्राधिकरण क्षेत्र में रहने वाले परिवारों का डेटा लेने के लिए उपग्रह साधनों का उपयोग करने पर विचार कर रहा है। नबीन लाल श्रेष्ठ ने कहा कि सीबीएस भारत के साथ बातचीत के बिना कालापानी क्षेत्र में जनगणना करने वालों को नहीं भेज सकता है, क्योंकि फिलहाल भारत ही क्षेत्र को नियंत्रित कर रहा है, भले ही नेपाल इस क्षेत्र को अपना दावा कर रहा हो।
इसके अलावा, चूंकि इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला कोई सीधा सड़क संपर्क नहीं है, इसलिए लोग भारत के रास्ते ही इस क्षेत्र तक पहुंच सकते हैं। अधिकारियों का कहना है कि ब्यूरो ने पहले ही भारत की 2011 की जनगणना के आधार पर इस क्षेत्र में जनसंख्या पर डेटा एकत्र कर लिया है, जिसके अनुसार, इस क्षेत्र के तीन गांव – कुटी में 363 लोग, नबी में 78 और गुंजी में 335 लोग हैं।
सीबीएस अधिकारियों का कहना है कि वे भारत के साथ राजनयिक पहल के उनके अनुरोध के संबंध में विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे। चूंकि भारत ने इससे पहले भी इस प्रकार के नेपाल के राजनयिक अनुरोधों को कोई खास तवज्जो नहीं दी है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि नई दिल्ली जवाब देगा या नहीं।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जब नई दिल्ली ने नवंबर 2019 में अपने राजनीतिक मानचित्र को अपडेट करते हुए एक नया नक्शा जारी किया था तो इसने कालापानी क्षेत्र को भारतीय सीमाओं के भीतर दिखाया था। 5 अगस्त, 2019 को भारत सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद नए नक्शे का अनावरण किया गया था। इस मुद्दे को हल करने के लिए राजनयिक बातचीत करने की नेपाल की कोशिशों का भारत ने कोई जवाब नहीं दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।