अयोध्या को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयान को लेकर भारत में चौतरफा आलोचना को रही है। इस बयान पर ओली से कदम से कदम मिलते हुए नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि रामायण सभ्यता पर अभी भी नेपाल और भारत में अध्ययन चल रहा है और अब तक सिर्फ विश्वास के आधार पर ही हम सभी बातों को मानते आ रहे हैं।
नेपाली विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमें अब तक यही बताया गया है कि सीता का जन्म जनकपुर में हुआ और राम का जन्म अयोध्या में हुआ, लेकिन जिस दिन अध्ययन से नए तथ्य मिल जाएंगे, रामायण का इतिहास बदल जाएगा।’ उन्होंने कहा कि जिस तरह महात्मा बुद्ध को लेकर लिखित इतिहास है, वैसा रामायण के साथ नहीं है।
नेपाली विदेश मंत्री ज्ञवली ने कहा, ”रामायण सभ्यता की पुरातात्विक अध्ययन की पुष्टि के लिए अभी पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं।” उन्होंने ने कहा कि रामायण में वर्णित स्थानों को लेकर दोनों देशों के बीच चर्चा चल रही है। इसके सांस्कृतिक भूगोल को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने कवि भानुभक्त की जयंती के अवसर पर सोमवार को अपने आधिकारिक आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत अपने यहां फर्जी अयोध्या बनाकर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ कर रहा है। वास्तविक आयोध्या नेपाल के बीरगंज के एक गांव में है।’’
नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ हमने जनकपुर में जन्मीं सीता का विवाह किसी भारतीय राजा के साथ नहीं किया बल्कि सीता का विवाह भारत के नहीं अयोध्या के राम से हुआ था जो कि नेपाल में है।’’ ओली द्वारा इस तरह की टिका टिप्पणी से ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री भारत-नेपाल के संबंधों में मौजूदा कड़वाहट को कम करने की बजाए उसे और बढ़ना चाहते हैं।