गिलगित-बल्तिस्तान पर PAK ने समय-समय पर लिये फैसले - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

गिलगित-बल्तिस्तान पर PAK ने समय-समय पर लिये फैसले

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान की बौखलाहट ने गिलगित-बल्तिस्तान पर नये सिरे से ध्यान आकर्षित किया है।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान की बौखलाहट ने गिलगित-बल्तिस्तान पर नये सिरे से ध्यान आकर्षित किया है। 
गिलगित-बल्तिस्तान का संक्षिप्त घटनाक्रम इस प्रकार है : – 
– गिलगित-बल्तिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का हिस्सा था और जम्मू कश्मीर रियासत का अभिन्न अंग था जिसका 1947 में भारत में कानूनी रूप से विलय हो गया था। हालांकि, वह (गिलगित-बल्तिस्तान) पाकिस्तान के संविधान में अपरिभाषित रहा। 
– नवंबर 1947 में, दो ब्रिटिश अधिकारियों ने क्षेत्र में तख्तापलट किया और पाकिस्तान से इलाके पर कब्जा करने को कहा। अगस्त 1948 में, भारत-पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र आयोग (यूएनसीआईपी) के प्रस्ताव में जम्मू कश्मीर के कब्जे वाले हिस्सों से पाकिस्तानी नियमित एवं अनियमित सैनिकों को हटाने की मांग की गई। 
– संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड बताते हैं कि जनवरी 1949 तक पाकिस्तान ने उत्तरी इलाकों पर सैन्य नियंत्रण पा लिया : इस इलाके पर स्थानीय प्राधिकारी पाकिस्तानी अधिकारियों की मदद से शासन कर रहे थे। ये स्थानीय प्राधिकारी जम्मू कश्मीर सरकार के नहीं थे। 
– 1949 में पाकिस्तान सरकार में बिना प्रभार वाले म‍ंत्री एम गुरमनी और तथाकथित ‘आजाद जम्मू कश्मीर’ के राष्ट्रपति सरदार मोहम्मद इब्राहिम खान के बीच कराची समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। 
यह समझौता क्षेत्र का पूर्ण नियंत्रण पाकिस्तान को देता है। उसी साल, पाकिस्तान ने गिलगित-बल्तिस्तान के प्रशासन को ‘आजाद जम्मू-कश्मीर’ से अलग कर दिया और क्षेत्र में ‘सीमांत अपराध नियमन’ लाया गया। 
– 1952 में कश्मीर मामलों के मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव को उत्तरी इलाकों के लिए पॉलीटिकल रेजीडेंट नियुक्त किया गया। 
– मार्च 1963 में पाकिस्तान ने गिलगित-बल्तिस्तान का हिस्सा, ‘‘शक्सगाम घाटी’’ द्विपक्षीय समझौते के तहत चीन को दे दिया। 
– गिलगित-बल्तिस्तान में 16 सदस्यों के नॉर्दर्न एरियाज एडवाइजरी काउंसिल के लिए पहला चुनाव 1970 में हुआ था। 
– 1972 में जुल्फिकार अली भुट्टो उत्तरी इलाकों के लिए ‘सुधार पैकेज’ लेकर आए। 1977 में मार्शल लॉ लागू किया गया और इसे उत्तरी इलाकों तक लगा दिया गया। 
– प्रधानमंत्री रहने के दौरान बेनजीर भुट्टो तथाकथित नॉर्दर्न एरियाज 1994 का आदेश लेकर आईं। इस आदेश को 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने एक आदेश के जरिये कानूनी ढांचा नाम दिया। 
– जरदारी शासन ने इसे गिलगित-बल्तिस्तान सशक्तिकरण एवं स्वशासन आदेश, 2009 करार दिया। इस आदेश ने गिलगित-बल्तिस्तान विधानसभा एवं गिलगित-बल्तिस्तान परिषद की स्थापना की। 
– 2009 के आदेश में सभी प्रशासनिक, राजनीतिक और न्यायिक प्राधिकार गवर्नर के पास रखे गये, जिससे वह क्षेत्र के लिए सर्वोच्च प्राधिकारी बन गये। विधानसभा के लिए 2009 में हुए चुनावों में पीपीपी को दो तिहाई बहुमत से जीत मिली। 
– जनवरी 2016 में पाकिस्तान ने चीन के इशारे पर गिलगित-बल्तिस्तान को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बनाने के विकल्प पर विचार किया। 
– भारत का रुख यह रहा है कि गिलगित-बल्तिस्तान समेत पाकिस्तान के कब्जे वाला पूरा कश्मीर भारत का हिस्सा है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − 13 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।