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पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने जेएनयू हमले को भारत में बढ़ती असहिष्णुता का उदाहरण बताया

बयान में कहा गया, ‘‘आरएसएस से प्रेरित भाजपा सरकार की साख इतनी भी नहीं बची है कि वह यह बहाना तक कर सके कि वह अल्पसंख्यकों की रक्षक है।’’

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सोमवार को आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों और शिक्षकों पर हमला भारत में बढ़ती ‘‘असहिष्णुता का एक और उदाहरण’’ है। कुरैशी ने ट्वीट किया, ‘‘जेएनयू में कल छात्रों और शिक्षकों पर हुआ हमला भारत में बढ़ती असहिष्णुता का एक और उदाहरण है। भारत में परिसरों को अब आरएसएस के अनियंत्रित कोप का सामना करना पड़ रहा है और पुलिस की उनके उन्माद में मिलीभगत रहती है। जब आप फासीवादी विचारधारा को मजबूत करते हो तो ऐसा ही होता है।’’ 
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उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा चाहता है तथा उसकी स्थिति स्पष्ट है। कुरैशी ने कहा, ‘‘हम क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं। मैंने अपनी हालिया वार्ताओं में सभी पक्षों के साथ यह प्रतिबद्धता दोहराई है। तनाव को कम करने के लिए सक्रिय कूटनीति समय की आवश्यकता है। हिंसा को हर हाल में टाला जाना चाहिए। हम प्रयास जारी रखेंगे।’’ 
पिछले साल 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने सोमवार को भारत सरकार से ‘‘भगवा आतंक’’ से अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा करने को भी कहा। विदेश कार्यालय की टिप्पणी पेशावर में एक सिख व्यक्ति की हत्या कर दिए जाने के बाद भारत द्वारा रविवार को व्यक्त की गई तीखी प्रतिक्रिया के एक दिन बाद आई। सिख व्यक्ति की हत्या ऐसे समय हुई जब पाकिस्तान में गुरद्वारा ननकाना साहिब पर हमले की घटना हुई। 
विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि भाजपा सरकार पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के कथित उत्पीड़न की घटनाओं का इस्तेमाल कश्मीर की स्थिति और भारत में अल्पसंख्यकों से होने वाले भेदभाव से ध्यान हटाने के लिए कर रही है। बयान में कहा गया, ‘‘आरएसएस से प्रेरित भाजपा सरकार की साख इतनी भी नहीं बची है कि वह यह बहाना तक कर सके कि वह अल्पसंख्यकों की रक्षक है।’’ 
इसमें कहा गया, ‘‘किसी अन्य जगह अल्पसंख्यकों के लिए झूठी चिंता व्यक्त करने की जगह भाजपा सरकार के लिए बेहतर रहेगा कि वह अपने यहां जारी मानव त्रासदी और ‘‘भगवा आतंक’’ से भारत के अल्पसंख्यकों की रक्षा करने पर ध्यान दे।’’ खैबर पख्तूनख्वा के शांग्ला जिला निवासी 25 वर्षीय सिख व्यक्ति रविंदर सिंह की अज्ञात बंदूकधारियों ने पेशावर शहर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। कुछ सप्ताह बाद ही उसकी शादी होने वाली थी। भारत सरकार ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को तुरंत न्याय के कठघरे में लाने की मांग की थी। 
सिंह की हत्या से एक दिन पहले ही भीड़ ने लहौर में गुरद्वारा ननकाना साहिब पर हमला कर दिया था जहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने इन घटनाओं को ‘‘कानून व्यवस्था से जुड़ी इक्का-दुक्का घटना’’ करार दिया और कहा कि ये ‘‘पाकिस्तान को बदनाम करने के अभियान’’ का हिस्सा हैं। बयान में कहा गया कि पाकिस्तान इस तरह की गढ़ी गईं चीजों को पूरी तरह खारिज करता है और इससे भाजपा कश्मीर में अपनी अवैध गतिविधियों तथा भेदभाव करने वाले संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के प्रतिकूल असर से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हो रही बदनामी से नहीं बच पाएगी। 

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