कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान की कोशिशों को एक बार फिर करारा झटका लगा है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुधवार को बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक ‘‘नाकाम’’ रही। पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयास में लगा हुआ है। और उसके इन प्रयासों को लगातार मुंह की खानी पड़ती है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर के भारत और पाकिस्तान का एक द्विपक्षीय मामला होने की बात रेखांकित की और शिमला समझौते के महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के जरिए इस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का पाकिस्तान का प्रयास एक बार फिर नाकाम रहा।’’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पाकिस्तान का एक और प्रयास विफल रहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसी) की बंद कमरे में की गई, अनौपचारिक बैठक बेनतीजा रही। लगभग सभी देशों ने जम्मू-कश्मीर के एक द्विपक्षीय मामला होने और इसके परिषद का समय एवं ध्यान देने लायक ना होने की बात को रेखांकित किया।’’
पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने ‘एनी अदर बिजनेस’ के तहत बुधवार को जम्मू-कश्मीर मामले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई थी। भारतीय सरकार के जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने के एक साल पूरा होने के दिन यह बैठक बुलाई गई।
सूत्रों ने बताया कि अमेरिका ने यह बात उठाई और परिषद के कई सदस्यों ने इसका समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र निकाय में चर्चा के लिए नहीं है और यह भारत तथा पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने और उसके दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत सरकार के फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की कई नाकाम कोशिश कर चुका है।
उल्लेखनीय है कि भारत ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने की घोषणा की थी। भारत ने जम्मू कश्मीर के 2019 में किए गए पुनर्गठन को ‘‘अवैध एवं अमान्य’’ बताने को लेकर बुधवार को चीन की आलोचना करते हुए कहा कि इस विषय पर बीजिंग का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और उसे दूसरे देशों के अंदरूनी मामलों में टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
चीन, जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के विरोध में रहा है और उसने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने को लेकर नयी दिल्ली की आलोचना की है। चीन लद्दाख के कई हिस्सों पर दावा करता है।