पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के एक मस्जिद को गिराने के फैसले को पाकिस्तानी इस्लामिक विद्वान और कराची दारुल उलूम के प्रमुख मुफ्ती तकी उस्मानी ने ‘गैरवाजिब’ करार दिया है। वहीं जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) सिंध के महासचिव मौलाना राशिद महमूद सूमरो ने सुप्रीम कोर्ट को ही धमकी दे दी।
तकी उस्मानी ने ट्वीट करते हुए कहा कि मस्जिद को गिराने और पार्क बनाने का आदेश ‘बिल्कुल गैरवाजिब’ है। रिपोर्ट के अनुसार, तारिक रोड पर यह मस्जिद 25 साल पहले बनाई गई थी और तब से नमाजी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। धार्मिक विद्वान ने कहा कि यह समझ से बाहर है कि पड़ोस में रहने वाले लोगों की बात सुने बिना ऐसी मस्जिद को गिराने का आदेश दिया जाए। उन्होंने कहा कि कोर्ट को खुद इस मुद्दे की तुरंत समीक्षा करनी चाहिए।
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मौलाना राशिद महमूद सूमरो का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते दिख रहे हैं, ‘क्या इसको मदीने की रियासत कहा जाता है कि मंदिर तो महफूज है और मस्जिद को गिराने का हुक्म सुप्रीम कोर्ट देती है? जब तक हम जिंदा हैं किसी में जुर्रत नहीं कि मस्जिद की एक ईंट भी गिराए।
वीडियो में राशिद महमूद सूमरो ने आगे कहा, ‘अगर मस्जिद सलामत नहीं रही तो तुम्हारे ओहदे भी सलामत नहीं रहेंगे, तुम्हारे दफ्तर भी सलामत नहीं रहेंगे। अगर तुम्हारे अंदर जुर्रत है तो मस्जिद को गिराकर दिखाओ, मस्जिद लावारिस नहीं है। तारिक रोड हो, मदीना मस्जिद हो, इंशाअल्लाह जमीयत इसकी चौकीदारी करेगी। हम जालिम से बगावत करेंगे। मस्जिद तक पहुंचने के लिए जमीयत के लोगों के सिरों से गुजरना होगा।’
दरअसल, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कराची में डोलमेन मॉल के पास एक बहुमंजिली इमारत मदीना मस्जिद सहित अतिक्रमित भूमि पर बने कई ढांचे को गिराने का आदेश दिया। जिसके बाद पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद और सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गयी।