विश्वभर में अपनी जान की परवाह न करते हुए डॉक्टर्स कोरोना वायरस (कोविड-19) से संक्रमित लोगों का इलाज़ कर रहे हैं। वहीं पाकिस्तान में कोरोना के मरीजों का इलाज़ कर रहे डॉक्टरों पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारी का मामला सामने आया है। गिरफ्तारी के बाद डॉक्टरों ने पुलिस की “ज्यादती” के खिलाफ काम के बहिष्कार की धमकी दी।
दरअसल, बलूचिस्तान प्रांत के सरकारी अस्पतालों में कोरोना वायरस को मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) की अनुपलब्धता के खिलाफ प्रदर्शन किया जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की इस कार्यवाई के खिलाफ डॉक्टरों ने काम के बहिष्कार की धमकी दे दी।
स्वास्थ्यकर्मियों की मांग थी कि अस्पतालों में पीपीई उपलब्ध कराए जाएं। क्वेटा के पुलिस प्रमुख अब्दुल रज्जाक चीमा ने इस बात की पुष्टि की कि प्रदर्श के “हिंसक” रुख अख्तियार करने के बाद कुछ डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने हालांकि हिरासत में लिए गए स्वास्थ्यकर्मियों की सटीक संख्या नहीं बताई।
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संवाददाता सम्मेलन में यंग डॉक्टर्स असोसिएशन, बलूचिस्तान के अध्यक्ष यासिर अचकजई ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने चिकित्साकर्मियों के लिए रक्षात्मक उपकरणों की मांग को लेकर क्वेटा में सिविल अस्पताल से मुख्यमंत्री सचिवालय तक विरोध मार्च निकाला। अचकजई ने कहा, “पुलिस ने हम पर लाठीचार्ज किया और दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया।”
उन्होंने युवा डॉक्टरों द्वारा अस्पताल में सेवाओं का बहिष्कार किए जाने की भी घोषणा की। अचकजई ने कहा, “पुलिस की ज्यादती के बाद हमने हमारी सभी सेवाओं को स्थगित करने का फैसला लिया है।” बलूचिस्तान में कोरोना वायरस के अबतक 192 मामले सामने आए हैं।
अचकजईअ ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में रक्षात्मक उपकरण अगर तत्काल उपलब्ध नहीं कराए गए तो स्थिति और बिगड़ सकती है। पाकिस्तान में कोरोना वायरस के कारण अबतक 52 लोगों की जान जा चुकी है। बता दें कि पाकिस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 3700 से अधिक हो गई है। वहीं, 53 लोगों की मौत भी हो चुकी है।