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US कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए राजनाथ ने किया आमंत्रित, ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम पर की चर्चा

भारत और अमेरिका के बीच जारी टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों से भारत आकर निवेश करने और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को समर्थन देने की अपील की है।

भारत और अमेरिका के बीच जारी टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों से भारत आकर निवेश करने और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को समर्थन देने की अपील की है। सिंह ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन एवं अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैंने अमेरिकी कंपनियों से ‘मेक इन इंडिया’, विमानन क्षेत्र और वैश्विक कार्यक्रम पर चर्चा की। मैंने उन्हें इन कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में पहली भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद कहा, हम सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए अमेरिकी कंपनियों से बात कर रहे हैं। हम उनके सामने यह प्रस्ताव रख रहे हैं। हमने अमेरिकी कंपनियों से उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु गलियारे में काम करने और उस इलाके में निवेश करने को कहा है।
भारत सह-विकास उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा और सभी निवेशकों को भारत आना चाहिए : रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री सिंह ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, मैंने जोर देकर कहा है कि भारत सह-विकास उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा और सभी निवेशकों को भारत आना चाहिए। उनका स्वागत है। वे भारत में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा दे सकते हैं, क्योंकि हम सब कुछ भारत में निर्माण करना चाहते हैं। इससे पहले, सिंह ने ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता की शुरुआत में कहा कि, भारत अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को बहुत प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा, बड़ी रक्षा साझेदारी भारत एवं अमेरिका के रणनीतिक संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भों में से एक हैं। उन्होंने कहा, एक बड़ा देश, हिंद महासागर का केंद्र और एक लोकतंत्र होने के नाते भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘पड़ोसी पहले’ नीति के बाद व्यापक हिंद प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में अहम भूमिकाएं हैं।
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच आठ अलग-अलग रक्षा संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं : राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने 2004 में सुनामी से लेकर कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने तक क्षेत्र में मुख्य भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, हमने पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच आठ अलग-अलग रक्षा संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें अवर्गीकृत क्षेत्र के लिए एक अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता समझौता भी शामिल है, जिस पर आज हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। सिंह ने कहा कि, वैश्विक महामारी के बावजूद संचार की उच्च क्षमता, निकटता से सूचना साझा करने और साजो-सामान संबंधी आपसी समर्थन में वृद्धि के साथ भारत-अमेरिका सैन्य सहयोग बढ़ा है। उन्होंने कहा कि, यह रक्षा साझेदारी की बढ़ती गहराई और पैमाने को दर्शाता है। उन्होंने कहा, एक दशक में अमेरिका के रक्षा आपूर्तिकर्ता नगण्य से 20 अरब डॉलर से अधिक पहुंच गए हैं। हम चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करें और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में सहयोग दें।
रक्षा सहयोग की गहराई और दायरे को और बढ़ाने को तत्पर हैं
सिंह ने कहा,  हम स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियमों से बंधे हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र के हमारे साझा दृष्टिकोण को प्रभावी बनाने के लिए अपने रक्षा सहयोग की गहराई और दायरे को और बढ़ाने को तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि, भारत पारंपरिक और उभरते रक्षा क्षेत्रों में क्षमताओं को दोगुना करने के लिए अमेरिका के साथ काम कर रहा है। हमने मार्च 2021 में रक्षा मंत्री ऑस्टिन की भारत यात्रा के बाद से कई रक्षा सहयोग गतिविधियों में काफी प्रगति की है।

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