कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने संविधान के 19वें संशोधन को देश में राजनीतिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए इसे निरस्त किए जाने की रविवार को अपील की।
सिरिसेना ने 19ए को अपने चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाया था जब उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को 2015 में विपक्ष के साझा उम्मीदवार के तौर पर चुनौती दी थी। राजपक्षे ने 2010 में 18ए पेश किया था जिसने उन्हें असीमित समय तक राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की इजाजत दी। इससे पहले नियम था कि कोई भी व्यक्ति दो बार के कार्यकाल के लिए ही राष्ट्रपति रह सकता है।
सिरिसेना 2015 में 19ए लेकर आए जिसने राष्ट्रपति कार्यकाल को घटा कर पांच साल कर दिया था और संसद भंग करने के उनके संपूर्ण अधिकार को भी वापस ले लिया था।
इसके अलावा 19ए दो बार राष्ट्रपति रह चुके व्यक्ति को तीसरी बार इस पद का चुनाव लड़ने से रोकता है।
हालांकि राष्ट्रपति ने रविवार को यहां जनसभा में 19वें संशोधन को देश में राजनीतिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने रविवार को यहां कहा, “हमारी सरकार बने हुए चार साल हो गए। अब पोस्टमार्टम करने का समय आ गया है जहां अगले चुनाव में बस चार माह का वक्त रह गया है।”
सिरिसेना ने कहा, “इस सरकार की सबसे बड़ी गलती 19वां संशोधन थी। इसने अस्थिरता पैदा की।”
उन्होंने कहा, “लोग हम पर एक अस्थिर सरकार चलाने का आरोप लगा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि मैं और प्रधानमंत्री (रानिल विक्रमसिंघे) अलग-अलग दिशा में जा रहे हैं…इसका कारण 19 ए है।”
सिरिसेना को राष्ट्रपति के शासन को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए 19ए को एक ठोस नागरिक समाज कार्रवाई के तौर पर पेश करना पड़ा था। इस सुधार प्रक्रिया से उम्मीद थी कि यह राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त कर नया संविधान बनाएगी। 1978 में संविधान लागू होने के बाद से उसे बदलने की लंबे समय से मांग की जा रही थी।