कोरोना वायरस के नए वेरिएंट को लेकर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने शुक्रवार को ब्रिक्स देशों के वैज्ञानिकों से आग्रह किया है कि, वह कोरोना को फैलने से रोकने में मदद करें। राष्ट्रपित ने ब्रिक्स देशों के वैज्ञानिकों को दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कोरोनावायरस के म्यूटेंट पर शोध करने के लिए आमंत्रित किया। रामफोसा ने यह आह्वान तब किया जब उन्होंने मंत्रिस्तरीय सलाहकार परिषद के लिए कोलेका मलिसाना को अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया है। वे अन्य ब्रिक्स देशों के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कोरोनावायरस के जीनोमिक सिक्वेंसिंग पर शोध करेंगी।
ब्रिक्स का सहयोग सिर्फ फायदे कि लिए नहीं है
रामफोसा ने कहा, ब्रिक्स देशों के बीच का सहयोग सिर्फ फायदे के लिए नहीं है बल्कि यह हमें कोरोना से जुड़ी जानकारी भी देगा। यदि देश मिलकर काम करें तो हम इस महामारी को दूर कर सकते हैं। यह सहयोग एकजुटता, साझेदारी और आपसी सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ब्रिक्स देशों की टीम महामारी के संबंध में अनुभवों पर जानकारी साझा करेगी ताकि चिकित्सकों और नीति निर्माताओं को बीमारी के बारे में पता चल सकें और वे भविष्य के लिए तैयार हो सकें। उन्होंने कहा कि, वैज्ञानिक देश में स्थित ब्रिक्स वैक्सीन रिसर्च सेंटर में ओमिक्रॉन पर शोध करेंगे।
दक्षिण अफ्रीका में तेजा से फैल रहा है वायरस
कोरोना का नया वेरिएंट ‘ओमिक्राॅन’ जब से दक्षिण अफ्रीका में पाया गया है तब से वहां यह तेजी से फैल रहा है। सबसे ज्यादा प्रभाव वहां के गौटेंग प्रांत में देखा गया है। गौटेंग प्रांत में यह वायरस तीगुनी तेजी से फैला है हालांकि किसी भी मरीज में गभींर स्थिति नहीं देखी गई है। देश में बढ़ते वायरस के प्रभाव को देखकर ही राष्ट्रपति ने ब्रिक्स देशों के वैज्ञानिकों से आग्रह किया है। ब्रिक्स देशों में पांच देश शामिल है जिनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका है।