भारत का प्रमुख पड़ोसी व्यापारिक साझेदार श्रीलंका इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। ऐसे में श्रीलंका सरकार ने गंभीर विदेशी मुद्रा संकट के बीच मंगलवार को 1.2 अरब डॉलर के आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की, और इसके साथ ही वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे ने दावा किया कि देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर्ज डिफाल्ट नहीं करेगा। हालांकि, रेटिंग एजेंसियों ने संकेत दिए हैं कि श्रीलंका अपने ऋण दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ है।
आर्थिक राहत पैकेज के तहत 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए जाएंगे
वित्त मंत्री राजपक्षे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि श्रीलंका एक पखवाड़े में 50 करोड़ डॉलर के अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड का विधिवत भुगतान करेगा। उन्होंने कहा कि नए आर्थिक राहत पैकेज के तहत 229 अरब श्रीलंकाई रुपये (1.2 अरब अमेरिकी डॉलर) खर्च किए जाएंगे, जिसमें अन्य उपायों के अलावा जनवरी 2022 से 15 लाख सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और विकलांग सैनिकों को प्रति माह 5,000 रुपये (24 अमेरिकी डॉलर) का विशेष भत्ता शामिल है। देश के ऋण दायित्वों के बारे में पूछे गए सवाल पर मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बॉन्ड (आईएसबी) धारकों को फिर से बातचीत के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
हम पर तीन देशों का बहुत अधिक कर्ज है
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के छोटे भाई बेसिल राजपक्षे ने कहा, ‘‘हमें जुलाई में 100 करोड़ अमेरिकी डॉलर डालर चुकाने हैं, उनसे पूछा जाएगा कि क्या वे फिर से निवेश करने के इच्छुक।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम पर तीन देशों – चीन, जापान और भारत का बहुत अधिक कर्ज है। इस साल के लिए कुल बकाया 6.9 अरब अमेरिकी डॉलर होगा।’’
राजपक्षे ने कहा कि इस फसल कटाई के मौसम में पैदावार में लगभग 25 से 30 प्रतिशत की कमी का सामना करने वाले किसानों को सब्सिडी दी जाएगी। राजपक्षे ने कहा कि राहत पैकेज से महंगाई नहीं बढ़ेगी, क्योंकि सारा खर्च बजट के भीतर होगा। उन्होंने यह भरोसा भी दिया कि कोई नया कर नहीं लगाया जाएगा। राजपक्षे ने कहा कि सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज की मांग को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है।