Sri Lankan Crisis: श्रीलंका में छाये काले बादल! मैं पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की सेवा करता रहूंगा..... बोले राजपक्षे - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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Sri Lankan Crisis: श्रीलंका में छाये काले बादल! मैं पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की सेवा करता रहूंगा….. बोले राजपक्षे

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने त्यागपत्र में खुद का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने त्यागपत्र में खुद का बचाव करते हुए कहा है कि उन्होंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे। सिंगापुर से संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्द्धने को भेजे गए राजपक्षे के इस त्यागपत्र को शनिवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान पढ़ा गया। संसद के सचिव धम्मिका दसनायके ने उनका त्याग पत्र पढ़ा।
राजपक्षे ने कहा कि उन्होंने आर्थिक मंदी का मुकाबला
राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति पद के लिए हुई रिक्ति की घोषणा करने के सिलसिले में श्रीलंकाई संसद की बैठक हुई। अर्थव्यस्था को संभालने में सरकार की नाकामी के चलते श्रीलंका में तेज हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते बुधवार को राजपक्षे देश से भाग गए थे। राजपक्षे (73) ने अपने त्यागपत्र में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के गंभीर संकट में पड़ने के लिए कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया।राजपक्षे ने कहा कि उन्होंने आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए सर्वदलीय सरकार बनाने की कोशिश करने जैसे बेहतरीन कदम उठाए। राजपक्षे ने त्यागपत्र में लिखा है, ”मैंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा।” उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद तीन महीने के अंदर पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में आ गई।
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राजपक्षे ने पत्र में कहा, नौ जुलाई को पार्टी नेताओं की इच्छा 
राजपक्षे ने कहा, ”मैंने उस समय पहले से ही खराब आर्थिक माहौल से विवश होने के बावजूद लोगों को महामारी से बचाने के लिए कार्रवाई की।” उन्होंने कहा, 2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा और विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगा। मेरे विचार से, मैंने स्थिति से निपटने के लिए एक सर्वदलीय या राष्ट्रीय सरकार बनाने का सुझाव देकर सबसे अच्छा कदम उठाया। राजपक्षे ने पत्र में कहा, नौ जुलाई को पार्टी नेताओं की इच्छा के बारे में पता चलने के बाद मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया। वह बुधवार को मालदीव भाग गए थे और इसके बाद बृहस्पतिवार को सिंगापुर पहुंच गए। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि न तो राजपक्षे ने शरण मांगी है और न ही उन्हें शरण दी गई है तथा उन्हें ”निजी यात्रा” के लिए प्रवेश की अनुमति दी गई।

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