अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने महिलाओं के यूनिवर्सिटी में जाकर एजुकेशन हासिल पर रोक लगा दी है। Taliban के इस फैसले को लेकर दुनियाभर में उसकी निंदा की जा रही है। भारत समेत कई सारे मुस्लिम देशों ने भी तालिबान के महिलाओं को शिक्षा से दूर करने के फैसले पर उसकी आलोचना की है। अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता संभालने के बाद से ही इस बात की आशंका जताई गई थी कि ये संगठन लड़कियों को शिक्षा और उनकी आजादी से दूर सकता है। हालांकि, तालिबान ने धीरे-धीरे इस आशंका को हकीकत में बदल दिया है।
हालांकि, यहां गौर करने वाली बात ये है कि तालिबान ने सत्ता में वापसी के दौरान कहा था कि वह महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा हासिल करने की इजाजत देगा। लेकिन ये अपने वादे से मुकरते हुए धीरे-धीरे ऐसे कदम उठाने लगा, जिससे लड़कियां स्कूल, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज से दूर होती चली गईं। तालिबान ने अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए लगभग 1।5 साल में एक-एक करके कदम उठाए हैं। आइए एक टाइमलाइन के जरिए समझा जाए कि संगठन ने किस तरह से लड़कियों की आजादी को खत्म किया है।
अगस्त 2021: अमेरिका के नेतृत्व में विदेशी सेनाओं के देश छोड़ते ही पश्चिमी मुल्कों के समर्थन वाली सरकार गिर गई। राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए और फिर तालिबान 15 अगस्त, 2021 को दोबारा अफगानिस्तान की सत्ता में लौट आया। सत्ता संभालते ही तालिबान ने वादा किया कि वह महिलाओं को सभी अधिकार देगा, साथ ही साथ मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं करेगा।
सितंबर 2021: सत्ता संभालने के एक महीने के भीतर ही तालिबान ने अपना असली रूप दिखाया। इसने 12 सितंबर को ऐलान किया कि महिलाओं को यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में पुरुष छात्रों से अलग बैठना होगा। साथ ही फरमान दिया गया कि लड़कियों को सिर्फ महिला टीचर्स ही पढ़ाएंगी। वहीं, हिजाब को ड्रेस कोड का जरूरी हिस्सा बना दिया गया।
मार्च 2022: तालिबान ने अफगानिस्तान में वापसी के छह महीने पूरा करते ही मार्च में लड़कियों को लेकर बड़ा फरमान जारी किया। मार्च में लड़कियों के लिए सेकेंडरी स्कूल फिर से खोले जाने थे। लेकिन 23 मार्च को तालिबान ने स्कूल खोलने के फैसले को रद्द कर दिया। इस तरह दसियों हजार बच्चियां स्कूली शिक्षा से दूर हो गईं। इन बच्चियों को स्कूल जाने के बजाय घर पर रहने का कहा गया।
मई 2022: अफगानिस्तान में मई से लेकर नवंबर तक का महीना महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। दरअसल, 7 मई को एक आदेश में कहा गया कि अब देश में महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर खुद को पूरी तरह से ढकना होगा। इस दौरान उनका चेहरा भी दिखाई नहीं देना चाहिए। बिना किसी पुरुष साथी से दूसरे शहर में यात्रा करने पर भी रोक लगा दी गई।
अगस्त 2022: अफगानिस्तान की सत्ता में आने के एक साल पूरा होने अगस्त महीने महिलाओं ने काबुल में शिक्षा मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने ‘रोटी, काम और रोजगार’ जैसे नारे लगाए। महिलाओं ने मांग की कि बच्चियों के लिए स्कूलों को खोला जाए। लेकिन तालिबान ने इन प्रदर्शनों को कुचल दिया।
नवंबर 2022: तालिबान ने महिलाओं के पार्क, मेले, जिम और पब्लिक बाथ में जाने पर रोक लगा दी। कुल मिलाकर महिलाओं को पूरी तरह से घरों में सीमित कर दिया गया। वहीं, लड़कियों को पूरी तरह से शिक्षा से दूर कर दिया गया।
दिसंबर 2022: अफगानिस्तान की महिलाओं के लिए दिसंबर का महीना बेहद अहम रहा है। तालिबान नेताओं ने 20 दिसंबर को महिलाओं के लिए यूनिवर्सिटीज में जाकर शिक्षा हासिल करने पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। एक दिन बाद लड़कियों को यूनिवर्सिटी में जाने से रोक दिया गया। तालिबान के इस फैसले की दुनियाभर में निंदा की जा रही है।