तालिबान ने अपने विरोधियों के नियंत्रण वाले, अफगानिस्तान के आखिरी प्रांत पंजशीर पर कब्जे का दावा किया । तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे पंजशीर प्रांत को भी आखिरकार हार का मुंह देखना पड़ा है। सूत्रों से जो ताजा तस्वीरें आ रही हैं उसमें से एक में पंजशीर में तालिबान का झंडा लगा हुआ है, वहीं दूसरी में तालिबानी पंजशीर गवर्नर ऑफिस के बाहर खड़े दिख रहे हैं।
खामा न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रव्यापी सुरक्षा की स्थापना के उनके प्रयास रंग लाए और प्रांत को लोगों का समर्थन मिला। मुजाहिद तालिबान के कार्यवाहक संस्कृति और सूचना मंत्री भी हैं। विद्रोही पंजशीर प्रांत में पिछले सात दिनों से तालिबान और प्रतिरोध बलों के बीच भारी संघर्ष हो रहा है, जिसके दौरान दोनों पक्ष हताहत हुए हैं।
बयान के अनुसार, कुछ प्रतिरोध बल मारे गए हैं जबकि अन्य प्रांत छोड़कर भाग गए हैं। खामा न्यूज ने मुजाहिद के बयान में आगे कहा, “हम पंजशीर के लोगों से भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं करने का आश्वासन देते हैं, वे हमारे भाई हैं और संयुक्त रूप से अफगानिस्तान के विकास के लिए काम करेंगे।”
वहीं तालिबान के साथ लड़ाई के दौरान पंजशीर प्रतिरोधी मोर्चा के प्रवक्ता फहीम दुश्ती की मौत हो गयी। अफगान न्यूज एजेंसी खामा प्रेस ने आज तड़के अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी। वहीं प्रतिरोधी मोर्चा से जुड़े एक सूत्र ने बताया, “पंजशीर प्रतिरोधी मोर्चा के प्रवक्ता फहीम दुश्ती तालिबान के साथ लड़ाई में मारे गए।”
बाद में राष्ट्रीय प्रतिरोधी मोर्चा ने भी आधिकारिक तौर पर कमांडर अब्दुल वुडोद जारा के साथ दुश्ती की मौत की पुष्टि कर दी। प्रतिरोधी मोर्चा ने ट्वीट कर कहा, “दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि द नेशनल रेजिस्टेंस ऑफ अफगानिस्तान ने आज दमन और आक्रमण के खिलाफ पवित्र प्रतिरोध में दो साथियों को खो दिया। एनआरएफ प्रवक्ता फहीम दुश्ती और जनरल अब्दुल वुडोद ज़ारा शहीद हो गए। उनकी स्मृति अमर रहे!”
बता दें कि अफगानिस्तान की राजधानी के उत्तर में स्थित छोटे से प्रांत पंजशीर में तालिबान विरोधी लड़ाकों का नेतृत्व अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह कर रहे हैं जिन्होंने लड़ाई की वजह से विस्थापित हुए हजारों लोगों के लिए मानवीय सहायता की अपील की। तालिबान के एक वरिष्ठ प्रवक्ता ने रविवार को ट्वीट किया कि पंजशीर के आठ जिलों में से एक रोखा जिले पर तालिबान का नियंत्रण है।
पंजशीर के लड़ाकों से तालिबान के कई प्रतिनिधिमंडलों ने बात की है जो विफल रही है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद सालेह पंजशीर पहुंच गए थे जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे कोई जीत नहीं सकता।