तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल नार्वे सरकार के साथ वार्ता के लिए ओस्लो की यात्रा करेगा। यह प्रतिनिधिमंडल न केवल नार्वे प्रशासन तथा अन्य सहयोगी देशों के प्रतिनिधियों बल्कि प्रबुद्ध समाज के सदस्यों एवं अफगानिस्तान में मानवाधिकार की रक्षा के लिए काम करने वालों के साथ भी बैठक करेगा। नार्वे के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उसने तालिबान के प्रतिनिधियों को 23-25 जनवरी के दौरान ओस्लो की यात्रा करने का न्यौता दिया है।
हालांकि इस बयान में यह नहीं बताया गया कि तालिबान के साथ बैठक में कौन-कौन सा देश हिस्सा लेगा। नार्वे की विदेश मंत्री एन्नीकेन हुटफेल्ट ने कहा, ‘‘ हम अफगानिस्तान की गंभीर स्थिति को लेकर बहुत चिंतिंत हैं।’’ उन्होंने कहा कि उस देश में ‘‘लाखों लोगों के लिए पूर्ण मानवीय त्रासदी है। ’’ उन्होंने कहा , ‘‘यह बैठक तालिबान को वैधता या मान्यता देना नहीं है बल्कि हमें उनसे बात करनी चाहिए जो असल में आज देश चलाते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम राजनीतिक दशा को और भी भयंकर मानवीय त्रासदी में नहीं बदलने दे सकते हैं।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि तालिबान प्रतिनिधिमंडल की बैठकों में ‘विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले अफगान लोगों के साथ ’ बैठकें शामिल हैं, इन लोगों में मानवाधिकार एवं मानवीय हितों, आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों के काम करने वाले महिला नेता, पत्रकार एवं अन्य लोग भी शामिल हैं। उसने कहा कि इससे पहले नार्वे का एक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान की खस्ताहाल मानवीय स्थिति पर वार्ता के लिए काबुल गया था।