रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने का एकमात्र सर्वश्रैष्ठ तरीका है वार्ता- एस जयशंकर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने का एकमात्र सर्वश्रैष्ठ तरीका है वार्ता- एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन में संघर्ष से निपटने का सर्वश्रेष्ठ तरीका ‘‘लड़ाई रोकने और वार्ता करने पर’’ जोर देना होगा।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के चलते विश्व में अशांति का माहौल बना हुआ हैं। जिसकों लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने औपचारिक तोर से स्पष्ट किया है कि संघर्ष को रोकने का एकमात्र तरीका है कि हमे वार्ता पर जोर देना होगा। संकट पर भारत का रुख इस तरह की किसी पहल को आगे बढ़ाना है।
जयशंकर बोले- हमने काफी बिताया है समय
जयशंकर ने यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई पर भारत के रुख की आलोचना का मंगलवार को विरोध करते हुए कहा था कि पश्चिमी शक्तियां पिछले साल अफगानिस्तान में हुए घटनाक्रम सहित एशिया की मुख्य चुनौतियों से बेपरवाह रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने यूक्रेन मुद्दे पर कल काफी वक्त बिताया और मैंने न सिर्फ यह विस्तार से बताने की कोशिश की कि हमारे विचार क्या हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि हमें लगता है कि आगे की सर्वश्रेष्ठ राह लड़ाई रोकने, वार्ता करने और आगे बढ़ने के रास्ते तलाशने पर जोर देना होगा। हमें लगता है कि हमारी सोच, हमारा रुख उस दिशा में आगे बढ़ने का सही तरीका है।’’उल्लेखनीय है कि भारत ने यूक्रेन पर हुए हमले की अब तक सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं की है और वार्ता एवं कूटनीति के जरिये संघर्ष का समाधान करने की अपील करता रहा है।
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लोकतंत्र को बढ़ावा देने में किस तरह से भूमिका निभाई जाए
जयशंकर ने अपने संबोधन में भारत की आजादी के बाद के 75 वर्षों के संघर्ष के बारे में चर्चा की और इस बात को रेखांकित किया कि देश ने दक्षिण एशिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देने में किस तरह से भूमिका निभाई है। विदेश मंत्री ने मानव संसाधन और विनिर्माण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिये जाने का जिक्र किया और कहा कि विदेश नीति के तहत बाहरी सुरक्षा खतरों पर शायद ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
हम कौन हैं, इस बारे में हमें आश्वस्त रहना होगा
जयशंकर ने इस सवाल पर कि अगले 25 वर्षों की प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए, कहा कि सभी संभावित क्षेत्रों में क्षमता निर्माण पर मुख्य रूप से जोर होना चाहिए।विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम कौन हैं, इस बारे में हमें आश्वस्त रहना होगा। मुझे लगता है कि हम कौन हैं… इस आधार पर विश्व के देशों से बात करना बेहतर होगा। ’’उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपनी प्रतिबद्धताओं, जिम्मेदारियों और अगले 25 वर्षों में अपनी भूमिकाओं के संदर्भ में अत्यधिक अंतरराष्ट्रीय होगा।

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