जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक विकास को पटरी से उतारने की पाकिस्तान की साजिशों की कड़ी निंदा करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाक नेतृत्व से कहा कि वह आतंकवाद का वित्त पोषण बंद करे और उसकी अपनी जमीन तथा उसके नियंत्रण वाले इलाकों से संचालित आतंकवादी शिविरों को नष्ट करे।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का यह बयान, वैश्विक आतंकवाद वित्तीय निगरानी संस्था ‘‘वित्तीय कार्रवाई बल (एफएटीएफ) के पेरिस में लिए गए फैसले के एक सप्ताह बाद आया है।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ‘‘ग्रे लिस्ट’’ में बनाए रखने का फैसला करने के साथ ही उसे चेतावनी दी थी कि अगर उसने अपने नियंत्रण वाले इलाकों से जारी आतंकवाद को वित्तीय पोषण मुहैया कराने वालों को दंडित नहीं किया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मानवाधिकार परिषद की यहां 43वीं बैठक में पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार हनन पर चिंता जताए जाने के बाद भारत ने उन आरोपों पर जवाब देने के अपने अधिकार के तहत ये बातें कहीं। स्थायी मिशन में भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि पाकिस्तान सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि खराब करने के लिए पगलाया हुआ है, लेकिन पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को गुमराह करने के लिए खुला नहीं छोड़ा जा सकता ।
भारतीय राजनयिक ने पाक से कहा कि वह उसकी अपनी जमीन तथा उसके नियंत्रण वाले इलाकों से संचालित आतंकवादी शिविरों को नष्ट करे। ‘‘ शीर्ष स्तर पर पाकिस्तानी नेतृत्व आतंकवादियों का खुला समर्थन करना बंद करे, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर में अवैध कब्जों को समाप्त करे, जनसांख्यिकी बदलावों को पूर्व स्थिति में लाए और पाकिस्तान में लोकतंत्र के लिए ढांचागत विकास पर काम करे ।’’
भारत और पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया आज इस हकीकत को बखूबी जानती है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार की क्या हालत है । उधर, भारत के लोकतांत्रिक संस्थान समय की कसौटियों पर खरे उतरे हैं और वे संस्थान अल्पसंख्यकों समेत अपने सभी नागरिकों के हितों की रक्षा करने के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है।
कश्मीर मसले पर आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपेरशन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भारतीय दूत ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का उसका कोई अधिकार ही नहीं बनता है।
राष्ट्रीय नागरिक पंजी : एनआरसी : पर बेल्जियम की टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ भारत का करीबी सहयोगी होने के नाते हम चाहते थे कि बेल्जियम इस मुद्दे पर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले हमसे तथ्यों की पड़ताल करता।’’
उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘ हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साफ साफ कह चुके हैं कि असम में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को छोड़कर कहीं भी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है।’’