अफगानिस्तान में तालिबान का शासन शुरू हो चुका है, लेकिन वहां पर समावेशी सरकार न होने पर कई देशों ने कड़ी आपत्ति जताई है। इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का तालिबान प्रेम जगजाहिर हो गया है। इमरान खान ने शनिवार को कहा कि उन्होंने काबुल में एक समावेशी सरकार के लिए तालिबान के साथ ‘‘बातचीत शुरू’’ की है, जिसमें ताजिक, हजारा और उज्बेक समुदाय के लोग शामिल होंगे।
एक दिन पहले ही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों ने कहा था कि युद्धग्रस्त देश में एक समावेशी सरकार होना महत्वपूर्ण है, जिसमें सभी जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समूहों के प्रतिनिधि हों। अगस्त माह में अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान ने ‘समावेशी’ सरकार का वादा किया था, जिसमें अफगानिस्तान की जटिल जातीय संरचना का प्रतिनिधित्व हो लेकिन 33 सदस्यीय अंतरिम मंत्रिमंडल में न तो हजारा समुदाय का कोई सदस्य है और न ही कोई महिला है।
इमरान खान ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के नेताओं के साथ दुशांबे में बैठक के बाद, खासकर ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान के साथ लंबी चर्चा के बाद मैंने ताजिक, हजारा और उज्बेक समुदाय के प्रतिनिधित्व वाली समावेशी अफगान सरकार के लिए तालिबान के साथ बात की है।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘‘40 वर्ष के संघर्ष के बाद, यह समावेशिता शांति और एक स्थिर अफगानिस्तान सुनिश्चित करेगी, जो न केवल अफगानिस्तान बल्कि क्षेत्र के भी हित में है।’’
शंघाई सहयोग संगठन के नेताओं ने संगठन के वार्षिक शिखर सम्मेलन के समापन के बाद जारी की गई एक संयुक्त घोषणा में शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान को आतंकवाद, युद्ध और मादक पदार्थों से मुक्त स्वतंत्र, लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण देश बनना चाहिए तथा युद्धग्रस्त देश में एक ‘‘समावेशी’’ सरकार का होना महत्वपूर्ण है, जिसमें सभी जातीय, धार्मिक एवं राजनीतिक समूहों के प्रतिनिधि शामिल हों।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद से संबंधित काली सूची में शामिल इस संगठन के कम से कम 14 सदस्यों के अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार में होने के संदर्भ में संयुक्त घोषणा में कहा गया, ‘‘सदस्य देशों का मानना है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार का होना महत्वपूर्ण है जिसमें सभी जातीय, धार्मिक एवं राजनीतिक समूहों के प्रतिनिधि शामिल हों।’’
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद से संबंधित काली सूची में शामिल इस संगठन के कम से कम 14 सदस्यों के अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार में होने के संदर्भ में संयुक्त घोषणा में कहा गया, ‘‘सदस्य देशों का मानना है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार का होना महत्वपूर्ण है जिसमें सभी जातीय, धार्मिक एवं राजनीतिक समूहों के प्रतिनिधि शामिल हों।’’