कोरोना वायरस के लगातार बदलते स्वरूपों से पुरे विश्व में भय का माहौल है, हालही में दक्षिण अफ्रीका में पाए गए नए वेरिएंट ओमीक्रॉन ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही दुनिया को एक बार फिर लॉकडाउन की गिरफ्त में कैद करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इस बार विश्व को महज ओमीक्रॉन से खतरा नहीं है, विश्व पर ओमीक्रॉन के साथ ही डेल्मीक्रॉन नामक वेरिएंट का खतरा भी मंडराने लगा है। यूरोप के कई देशों में लगातार बढ़ रहे कोविड संक्रमण के पीछे एक नए डेल्मीक्रॉन वैरिएंट के होने की आशंका जताई जा रही है।
डेल्मीक्रॉन क्या है?
डेल्मीक्रॉन कोरोना वायरस का एक नया रूप नहीं है, बल्कि डेल्टा और ओमीक्रॉन एक साथ मिलकर कोविड-19 मामलों को बढ़ावा दे रहे हैं। डेटा से पता चलता है कि अमेरिका में ओमीक्रॉन अधिक प्रभावशाली है और कोरोना के सभी नए मामलों में 73 प्रतिशत का योगदान है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने कहा कि डेल्टा संस्करण पिछले महीने अमेरिका में 99.5 प्रतिशत से अधिक कोविड-19 संक्रमण के प्रसार के लिए जिम्मेदार था।
डेल्मीक्रॉन पर विशेषज्ञ की राय
एक रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों का कहना है कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों, बुजुर्गों और कॉमरेडिडिटी वाले लोगों को डेल्टा और ओमीक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित होने का अधिक खतरा होता है। इसमें कहा गया है कि कम टीकाकरण दर वाले क्षेत्र भी जोखिम में हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या दो प्रकारों के संयोजन से सुपर स्ट्रेन हो सकता है।
मॉडर्ना के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पॉल बर्टन ने कहा कि यह संभव है कि दोनों उपभेदों में जीन की अदला-बदली हो सकती है और अधिक खतरनाक प्रकार को ट्रिगर किया जा सकता है। बताते चलें कि कई रिपोर्ट्स के मुताबिक ओमिक्रॉन को लेकर शुरुआती डेटा बताते हैं कि यह वैक्सीन सुरक्षा को चकमा देने में सक्षम हो सकता है। ऐसे में कई देश बूस्टर डोज देने पर काम कर रहे हैं।
डेल्मीक्रॉन का भारत पर पड़ेगा असर?
महाराष्ट्र में कोविड-19 टास्क फोर्स के एक सदस्य ने कहा है कि इस बात की संभावना है कि पश्चिम डेल्टा के जुड़वां स्पाइक्स और कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के बीच फंस गया हो। डॉ शशांक जोशी के हवाले से एक प्रमुख समाचार पत्र ने कहा, “यूरोप और अमेरिका में डेल्टा और ओमीक्रॉन के जुड़वां स्पाइक्स डेल्मीक्रॉन के कारण मामलों की एक छोटी सुनामी आई है।” उन्होंने आगे कहा कि अभी तक यह अनुमान लगाने का कोई तरीका नहीं है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन से बने नए वैरिएंट डेल्मीक्रॉन का क्या असर हो सकता है। ऐसे में हमें खुद को सुरक्षित रखना है।