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अनौपचारिक वार्ता में विकास की व्यापक रूपरेखा तैयार करेंगे शी और PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग तमिलनाडु के तटीय शहर मामल्लापुरम में 11-12 अक्टूबर को दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता करेंगे जिसमें वे कश्मीर के मुद्दे पर संबंधों में दरार आने के बावजूद विकास के व्यापक मार्गों की रूपरेखा तैयार करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग तमिलनाडु के तटीय शहर मामल्लापुरम में 11-12 अक्टूबर को दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता करेंगे जिसमें वे कश्मीर के मुद्दे पर संबंधों में दरार आने के बावजूद विकास के व्यापक मार्गों की रूपरेखा तैयार करेंगे। 
चिनफिंग की करीब 24 घंटे की चेन्नई यात्रा से दो दिन पहले नयी दिल्ली में सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर किसी तरह की बातचीत का सवाल नहीं है क्योंकि यह भारत का संप्रभु विषय है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले में चीन के राष्ट्रपति का कोई सवाल हुआ तो मोदी उन्हें जानकारी देंगे। 
सूत्रों ने कहा कि दक्षिण भारत के इस प्राचीन तटीय शहर में यह शिखर वार्ता चीन के अमेरिका के साथ कारोबारी संबंधों में बढ़ती दरार की पृष्ठभूमि में होगी। दोनों नेता व्यापार और कारोबारी संबंधों के विस्तार के तरीकों पर बात कर सकते हैं। 
सूत्रों के अनुसार बातचीत में राजनीतिक संबंधों, व्यापार तथा करीब 3500 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा पर अमन चैन बनाये रखने पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। 
सामरिक मामलों के विशेषज्ञ अशोक कांठा ने कहा कि मोदी और चिनफिंग की प्रस्तावित अनौपचारिक वार्ता दर्शाती है कि दोनों नेता जटिल संबंधों की जिम्मेदारी स्वीकार रहे हैं। 
उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘बातचीत का प्रमुख पहलू यह होगा कि दोनों देश अपने मतभेदों पर ध्यान देने में प्रगति कैसे करेंगे और संबंधों में उतार-चढ़ाव का फेर कैसे समाप्त होगा।’’ 
कांठा ने कहा कि भारत-चीन संबंध केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि इनके महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक आयाम हैं। 
मोदी और शी के बीच पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता चीन के वुहान में अप्रैल 2018 में हुई थी। उसके कुछ महीने पहले ही डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा था। 
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को घोषणा की कि शी और मोदी के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता चेन्नई के समीप प्राचीन तटीय शहर मामल्लापुरम में 11 और 12 अक्टूबर को होगी। इसके बाद शी 13 अक्टूबर को नेपाल की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। 
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि आगामी अनौपचारिक शिखर सम्मेलन एक ऐसा अवसर होगा जब दोनों नेता द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के अत्यंत आवश्यक मुद्दों पर अपनी चर्चा को आगे बढ़ाएंगे। 
इस तरह की धारणा थी कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के करीब दो महीने पहले लिये गये भारत के फैसले ने शिखर वार्ता की तैयारियों को प्रभावित किया। दोनों पक्षों ने चीनी नेता के चेन्नई पहुंचने से महज 50 घंटे पहले बुधवार को शी की भारत यात्रा की तारीख की घोषणा की । 
दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों ने यात्रा के कार्यक्रम की घोषणा लगभग आसपास की। 
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह एक ऐसा अवसर होगा जब दोनों नेता द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के अत्यंत आवश्यक मुद्दों पर अपनी चर्चा को आगे बढ़ाएंगे। 
वहीं मोदी-शी शिखर वार्ता से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शी के भारत दौरे में कश्मीर का मुद्दा उठाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के नजरिए से उन्हें अवगत कराएंगे। 
उन्होंने बताया कि कश्मीर पर भारत का रुख एकदम स्पष्ट है और अगर शी ने मुद्दा उठाया तो मोदी उन्हें हमारा पक्ष समझाएंगे। 
प्रधानमंत्री मोदी एक सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले चिनफिंग को इस प्राचीन कस्बे में प्रमुख स्थानों का भ्रमण कराएंगे। मोदी चीनी नेता को रात्रिभोज भी देंगे। 
दोनों नेता शनिवार को सीधी बातचीत करेंगे। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी। चीनी राष्ट्रपति शनिवार दोपहर दो बजे चेन्नई से नेपाल के लिए रवाना हो सकते हैं। 
शी के साथ विदेश मंत्री और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य वांग यी होंगे। 
लद्दाख को पृथक केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम पर चीन की आपत्ति पर सूत्रों ने कहा कि स्थानीय लोगों की यह मांग है और इस फैसले से दोनों देशों के बीच सीमा के संबंधित निर्धारण में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 
सूत्रों ने शी की भारत यात्रा से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बीजिंग दौरे को द्विपक्षीय मामला बताते हुए कहा कि अनौपचारिक बातचीत ‘एक मुद्दे पर शिखर वार्ता से परे’ है और नयी दिल्ली इमरान खान की यात्रा को भारत तथा पाकिस्तान के संबंधों में दरार डालने की चीन की कोशिश के तौर पर नहीं देखती। 
शिखर वार्ता का व्यापक उद्देश्य चीन-भारत संबंधों के भविष्य की प्रगति का व्यापक मार्ग बनाना होगा। उन्होंने कहा कि मोदी और शी की मुलाकात के बाद किसी समझौते का या कोई संयुक्त वक्तव्य जारी करने की कोई योजना नहीं है। 
अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के बड़े सैन्याभ्यास पर चीन की आपत्ति के संबंध में सूत्रों ने कहा कि यह परिचालन से जुड़ा विषय है। 
भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद है। 
दोनों पक्ष विशेष प्रतिनिधि संवाद की रूपरेखा के तहत सीमा विवाद का जल्द समाधान पाने के लिए 20 से अधिक दौर की बातचीत कर चुके हैं। 
सूत्रों ने कहा कि चीन-भारत आतंकवाद निरोधक अभ्यास इस साल के आखिर में हो सकता है। 
उन्होंने कहा कि मोदी और शी की बातचीत में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (आरसीईपी) पर भी बातचीत हो सकती है। 
आरसीईपी में आसियान के 10 सदस्य देशों के साथ भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड समेत छह अन्य देश हैं। 
चीन ने कश्मीर पर भारत के फैसले की आलोचना की थी और इसके विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इस मुद्दे को उठाया था। 
हालांकि शी की भारत यात्रा से पहले चीन ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच होना चाहिए। 

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