दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से राज्यों को जीएसटी बकाया उपलब्ध कराने के लिए कानूनी रूप से व्यवहार्य और टिकाऊ विकल्पों पर विचार करने की अपील की है।
पत्र में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि वित्त मंत्रालय द्वारा जो दो विकल्प दिए गए हैं, जिनमें राज्यों को कर्ज लेने और फिर पुनर्भुगतान करने के लिए कहा गया है, इससे राज्यों पर भारी बोझ पड़ेगा। जीएसटी काउंसिल को केंद्र को अपनी ओर से कर्ज लेने के लिए अधिकृत करने पर विचार करना चाहिए और 2022 से आगे उपकर संग्रह की अवधि बढ़ानी चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि जीएसटी संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को जीएसटी मुआवजे का आश्वासन उन स्तंभों में से एक है, जिस पर जीएसटी की पूरी इमारत टिकी है। केजरीवाल ने कहा, ’27 अगस्त को जीएसटी काउंसिल ने राज्यों को अपने जीएसटी राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए कर्ज लेने के दो विकल्पों की पेशकश की थी, क्योंकि कार और तंबाकू जैसी वस्तुओं से प्राप्त जीएसटी उपकर इस वित्तीय वर्ष की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं था।
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केंद्र ने निर्दिष्ट किया है कि राज्य सरकारें एक विशेष विंडो के माध्यम से या तो आरबीआई के माध्यम से ऋण ले सकती हैं या बाजार से ऋण उठा सकती हैं।’ जीएसटी सुधार को भारत के अप्रत्यक्ष कर ढांचे में भूमि सुधार के रूप में करार देते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र में कहा है कि जीएसटी संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को जीएसटी मुआवजे का आश्वासन उन स्तंभों में से एक है, जिन पर जीएसटी की पूरी इमारत टिकी हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी राज्य मिल कर उस अभूतपूर्व स्थिति को दूर करेंगे, जिसे कोविड-19 महामारी ने सामूहिक रूप से देश के सामने लाया है। सीएम केजरीवाल ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा अधिनियम, 2017) के 101वें संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत जीएसटी को लागू करने के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान पर राज्यों को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित विकल्पों में राज्यों द्वारा कर्ज लेने की प्रक्रिया बोझिल होगी. जिसे कानूनी तौर पर सभी क्षतिपूर्ति फंड जीएसटी (मुआवजा अधिनियम, 2017) के सेक्शन 10 के शर्तों के तहत दिया जाता है और इसके बाद मुआवजा फंड से राज्यों के कारण होने वाली ऐसी धनराशि जारी की जा सकती है।
प्रधानमंत्री से स्थाई विकल्प के लिए अनुरोध करते हुए केजरीवाल ने कहा, उपरोक्त स्थिति को देखते हुए यह मेरा विनम्र निवेदन है कि भारत सरकार द्वारा कर्ज लेने के लिए अधिक सरल और कानूनी रूप से टिकाऊ विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए, जो कि वर्ष 2021 और 2022 में मुआवजे की आवश्यकता की पूर्ति के लिए, भारत सरकार द्वारा 2022 के बाद एकत्र किए जाने वाले सेस से सेवित और चुकाया जाएगा।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यदि इस विकल्प का उपयोग किया जाता है, तो यह सभी राज्यों को स्वीकार्य होगा और ऐसी स्थिति में उनका साथ देने और कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट से उबरने में राज्यों की मदद करने के लिए राज्य सरकारें केंद्र की आभारी होंगी।