दिल्ली हिंसा को लेकर हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को विवादित बयान देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर करने की सलाह दी। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में पुलिस से सभी वीडियो देखकर गुरुवार को जानकारी देने के लिए कहा है। वहीं कोर्ट ने दिल्ली में सेना की तैनाती को लेकर कहा कि हमें अभी एफआईआर दर्ज करने के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंसा के मामले में सुनवाई करते हुए पुलिस आयुक्त को बीजेपी के तीन नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा द्वारा कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की सलाह दी। कोर्ट ने हिंसा के दौरान घायल लोगों की तुरंत मदद करने के लिए दिल्ली पुलिस की सराहना भी की।
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सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी किसी भी निर्णय से स्थिति भड़क सकती है। दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा ने दलील दी कि नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की कोई वजह नहीं है। मेहरा ने कहा कि हिंसा में संलिप्त हर किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
इससे पहले दिन में हाई कोर्ट ने कहा कि बाहर की स्थिति बहुत निराशाजनक है। सुनवाई के दौरान अदालत ने मेहता और पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राजेश देव से पूछा कि क्या उन्होंने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के वीडियो क्लिप देखे हैं। मेहता ने कहा कि वह टीवी नहीं देखते और उन्होंने ऐसे क्लिप नहीं देखे हैं।
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पुलिस अधिकारी के बयान पर न्यायमूर्ति मुरलीधर ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली से मैं वाकई हैरान हूं।’’ CAA को लेकर दिल्ली में हुई हिंसा में अबतक 22 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 लोग घायल हुए हैं।बुधवार को दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने हिंसा प्रभावित इलाकों में मार्च किया। पिछले तीन दिनों से हो रही हिंसा के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में कई इलाको में पत्थरबाजी-आगजनी की घटना हुई।